नई दिल्ली: लोकसभा में नेशनल मेडिलकल कमीशन यानी एनएमसी बिल के पारित होने के बाद देशभर में डॉक्टर्स काफी विरोध कर रहे हैं। इसी के चलते दिल्ली के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स गुरुवार को हड़ताल करेंगे।
दरअसल, डॉक्टर्स एनएमसी बिल से नाराज है। डॉक्टर्स का कहना है कि एनएमसी बिल को राज्यसभा में संसोधन के बाद ही पेश किया जाए। ये बिल लोकसभा में पारित हो गया है। वहीं, अब सरकार इसे राज्यसभा में पेश केरगी।
आईएमए उत्तराखंड के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने इस बिल को जन विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल चिकित्सा शिक्षा के मानकों में, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि एनएमसी बिल की धारा-32 में आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए 3.5 लाख अयोग्य एवं गैर चिकित्सकों को लाइसेंस देने का प्रावधान है। सरकार की ये योजना नीम हकीम को वैध करने की साजिश है।
डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते अस्पतालों में गैरजरूरी सेवा यानी ओपीडी और इमरजेंसी सेवा प्रभावित रहेंगी। दिल्ली में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर, FORDA यानी फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स के आलावा कई अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर इस हड़ताल में शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने इस हफ्ते लोकसभा में नेशनल मेडिकल बिल पास कराया गया जिसके बाद से देश भर के डॉक्टर और आरडीए सरकार से नाराज़ हो गए है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें इस कमीशन से कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन इस बिल में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो गलत हैं, जिसको लेकर सरकार से डॉक्टरों के अलग-अलग आरडीए और एसोसिएशन मिल चुके हैं और बदलाव की मांग की गई थी।