जम्मू-कश्मीर : घाटी में सरकार द्वारा पहले 10 हज़ार अतिरिक्त जवानों की तैनाती का आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया था, जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध भी किया था और आरोप लगाया था कि घाटी के लोगों में बेवजह डर पैदा किया जा रहा है। वहीं विपक्ष के आरोपों को दरकिनार कर सरकार ने एक बार फिर 28 हज़ार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आदेश जारी किये हैं, जिसको लेकर माहौल गर्माता नज़र आ रहा है। अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आलवा भारतीय सेना व वायु सेना को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है। इससे अब लोगों के मन में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर कश्मीर में क्या बड़ा होने वाला है।
सरकार की तरफ से पहले घाटी में 10 हज़ार अतिरिक्त जवानों की तैनाती का आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया था, जिसके बाद अब 28 हज़ार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के आदेश जारी किये गए हैं। साथ ही भारतीय सेना व वायु सेना को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है। अतिरित जवानों की तैनाती के आदेश के साथ ही घाटी में बड़ी सुरक्षाबलों का पहुंचना शुरू हो गया है।
अतिरिक्त जवानों की तैनाती को लेकर सरकार का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती आंतरिक सुरक्षा स्थिति के आकलन और प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के आधार पर की गई है। साथ ही कहा कि केंद्रीय बलों की तैनाती और वापसी लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं की जा सकती।
अटकलें ये भी लगायी जा आरही है कि सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर से धारा 35A को खत्म करने की कोशिश में जुट गयी है, जिसको लेकर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने स्पष्ट तौर पर इन अटकलों का खंडन किया था और कहा था कि घाटी में आतंकियों के खिलाफ अभियान को और अधिक धार देने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किये जाने का आदेश जारी किया गया है। अटकलें ये भी है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा के चुनाव करवाए जा सकते हैं, जिसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया जा रहा है।