गोवा के अरपोरा स्थित ‘बिर्च बाय रोमियो लेन’ नाइट क्लब में 6–7 दिसंबर की रात भयानक आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई, जिससे पूरे देश में शोक और प्रशासन पर सवाल उठे। हादसे के तुरंत बाद गोवा पुलिस ने सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और लापरवाही के आरोप में क्लब के मालिक गौरव और सौरभ लूथरा को मुख्य आरोपित माना। आग लगने के कुछ ही घंटे बाद यह दोनों भाई थाईलैंड के फुकेट भाग गए। पुलिस के मुताबिक उन्होंने मिनटों में टिकट बुक कर सुबह जल्दी ही देश छोड़ दिया, जिससे आरोप था कि वे जांच और गिरफ्तारी से बचने के लिए भाग रहे थे।
घटना के बाद भारत सरकार और गोवा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। सबसे पहले उनके पासपोर्ट रद्द और निलंबित कर दिए गए, जिससे उनकी विदेश में वैध रहने की क्षमता खत्म हो गई। इसके बाद गोवा पुलिस ने इंटरपोल (Interpol) के माध्यम से ‘ब्लू कॉर्नर नोटिस’ जारी करवाया, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति को उसकी लोकेशन और पहचान के लिए किया जाता है। इस कार्रवाई से पता चला कि दोनों भाई फिलहाल थाईलैंड में ही ठहरे हुए हैं।
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इंटरपोल नोटिस के साथ ही भारतीय अधिकारियों ने थाईलैंड पुलिस और विदेश राजनयिक चैनलों के माध्यम से समन्वय बढ़ाया। थाईलैंड सरकार के साथ मौजूद एक प्रत्यर्पण समझौते (India–Thailand extradition treaty) की वजह से दोनों पक्षों के बीच जानकारी का आदान‑प्रदान सक्रिय रूप से हुआ। थाई अधिकारियों ने इन अनुरोधों पर सहयोग किया और अंततः लूथरा ब्रदर्स को फुकेट में एक रिजॉर्ट से हिरासत में ले लिया गया। उनकी हिरासत की तस्वीरें भी सामने आईं, जिनमें दोनों हाथकड़ी में हैं और उन्हें थाईलैंड के इमिग्रेशन सेंटर ले जाया जा रहा है।
इस तरह की त्वरित कार्रवाई का कारण यह था कि उनके पासपोर्ट पहले ही रद्द हो चुके थे, इसलिए वे किसी भी अन्य देश में वैध रूप से प्रवेश या वहां टिक नहीं सकते थे। पासपोर्ट रद्द होने के बाद उनका थाईलैंड में रहना अवैध माना गया और इसी आधार पर थाईलैंड ने उन्हें हिरासत में लिया। भारतीय पुलिस टीम भी थाईलैंड पहुँची ताकि प्रत्यर्पण के कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
इस गिरफ्तारी का असर केवल लूथरा ब्रदर्स पर ही नहीं, बल्कि पूरे मामले की जांच की गति को तेज़ करने में भी पड़ा। उनके प्रत्यर्पण के बाद उन्हें भारत लाया जाएगा और यहां आपराधिक आरोपों के तहत कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। इससे पहले उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी और सुनवाई आगे की तारीख के लिए रखी है।
लूथरा ब्रदर्स के अलावा, इस मामले में अन्य कई अधिकारियों और कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है और जांच जारी है। इस पूरे प्रकरण ने क्लबों और मनोरंजन स्थलों में सुरक्षा और नियमों के पालन को लेकर सख्त नियमों और जवाबदेही पर भी बहस तेज़ कर दी है। इसके साथ ही, यह मामला दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय समन्वय और पुलिस‑विधिक सहयोग किस तरह देश के बाहर भागे संदिग्धों को भी पकड़ने में कारगर साबित हो सकता है।














