नई दिल्ली: Bone Death: कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद पहले जहां ब्लैक फंगस का खतरा दिखाई दे रहा था वहीं अब बोन डेथ के मामले में भी सामने आ रहे हैं। कोविड से ठीक होने के बाद मुंबई में कुछ मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के मामले आए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यह बोन यानी हड्डी तक खून की सप्लाई बंद हो जाने से होता है।
कोरोना और Bone Death के बीच लिंक
Bone Death हाई डोज स्टेरॉयड जैसे कि प्रेडनिसोन से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इसके सटीक कारण को लेकर अभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता। मालूम हो कि कोविड रिकवरी में स्टेरॉयड जैसी दवाएं वायरस से होने वाली सूजन को कम करने के लिए मरीजों को दी जाती हैं। इन दवाओं से सूजन की समस्या तो ठीक होती है लेकिन इससे खून का प्रवाह रुक जाता है। यही वजह है कि शरीर में मौजूद ऊतकों को नुकसान पहुंचता है।
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Bone Death के प्रमुख लक्षण
इसके कुछ प्रमुख लक्षण जांघ और कूल्हे की हड्डियों में तेज दर्द उठना, चलने में दिक्कत होना, सोते-जागते लगातार दर्द रहना, कंधे, घुटने, हाथ और पैरों में भी दर्द व जोड़ों में लगातार दर्द हैं।
विशेषज्ञों की मानें, तो हड्डी में एवैस्कुलर नेक्रोसिस कोई नई बीमारी नहीं है। ये बीमारी पहले भी स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने या धूम्रपान करने या अल्कोहल लेने वालों में देखी गई है।
ये हड्डियां होती हैं प्रभावित
कोविड के मरीजों में खून का थक्का जमने का रिस्क रहता है जिसकी वजह से हार्टअटैक, ब्रेन अटैक, पैरालिसिस या किडनी और आंत में दिक्कत आती है। यह इन अंगों में खून की सप्लाई खत्म होने की वजह से होती है और यह काम करना बंद कर देते हैं।
उसी तरह से हड्डियों में भी खून की सप्लाई बंद होने पर एवैस्कुलर नेक्रोसिस या बोन डेथ होती है। शरीर की कुछ हड्डियों जैसे हिप बॉल, अंगूठे के ठीक नीचे वाली हड्डी (स्केफॉइड) या टांग का नीचे का एक तिहाई हिस्सा, कंधे की बॉल, टैलस बोन जो एंकल जॉइंट होती है और घुटने की हड्डियों में देखने को मिला है।
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क्या होता है एवैस्कुलर नेक्रोसिस या Bone Death
जब किसी भी हड्डी में ब्लड सप्लाई खत्म हो जाती है तो उसमें ऑक्सिजन की कमी की वजह से बोन सेल की डेथ हो जाती है, जैसा कि किसी भी और अंग में होता है। इसकी वजह से उस जगह पर या उस हड्डी के आसपास दर्द होता है। मूवमेंट में दिक्कत आती है और जॉइंट में आर्थराइटिस हो जाती है यानी जॉइंट्स खराब हो जाते हैं।
डॉक्टर के मुताबिक सावधानी के तौर पर लोग लोग शराब ना पिएं, स्टेरॉयड का डॉक्टर की देखरेख में ही इस्तेमाल करें, स्मोकिंग ना करें। एवैस्कुलर नेक्रोसिस किस स्टेज में है उस हिसाब से इसका इलाज होता है। शुरुआती स्टेज में सिर्फ दवाओं से फायदा हो सकता है लेकिन बाद में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सबसे कॉमन सर्जरी हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट होती है क्योंकि लगभग 50-60 पर्सेंट केस में एवैस्कुलर नेक्रोसिस हिप बॉल को ही इफेक्ट करती है।
डॉक्टरों का कहना है कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस फिलहाल उन रोगियों में देखा जा रहा है, जो महीनों पहले कोविड से रिकवर हो चुके थे। इसलिए इसे क्लासिक पोस्ट कोविड (classic post-COVID-complication) का जोखिम मान रहे हैं। जिन लोगों में Bone Death की समस्या देखने को मिली है उन सभी मरीजों की उम्र 40 साल से कम है।
इन मरीजों की फीमर बोन में तेज दर्द हुआ और फिर पता चला है कि ये हड्डी पूरी तरह से नष्ट हो गई। हाल ही में इस बीमारी को लेकर मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस स्टडीज’ में प्रकाशित किया गया है जिसमें इसे ‘लॉन्ग कोविड’ का सिम्टम बताया गया है।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस को हड्डी के ऊतकों की मृत्यु (death of bone tissues) के रूप में भी जाना जाता है। शुरुआत में मरीज को गंभीर दर्द उठ सकता है
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