नई दिल्ली: Medicine: देश में तेल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल और LPG गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की हालत खस्ता कर दी है। महंगाई के इस दौर में अब लोगों को दवाइयों के लिए भी अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा कि सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी की अनुमति दे दी है। दर्द निवारक दवाइयां, एंटीइंफ्लाटिव, कार्डियक और एंटीबायोटिक्स सहित आवश्यक दवाओं की कीमतें अप्रैल से बढ़ सकती है।
Medicine: 20% बढ़ सकती है कीमत
Medicine: सरकार ने दवा निर्माताओं को एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर कीमतों में बदलाव की अनुमति दी थी। ड्रग प्राइस रेगुलेटर, नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा कि सरकार की तरफ से 2020 के लिए डब्ल्यूपीआई में 0.5 फीसदी का एनुअल चेंज नॉटिफाई किया था ।वही फार्मा इंडस्ट्री का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी वजह से कंपनिया कीमतों में 20 फीसदी बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है। बता दें कि दवा नियामक की ओर से WPI के अनुरूप अनुसूचित दवाओं की कीमतों में हर साल वृद्धि की अनुमति दी जाती है।
चीन से आयात होते हैं
कार्डियो वैस्कुलर, डायबिटीज, एंटीबायोटिक्स, एंटी-इंफ़ेक्टिव और विटामिन के मैन्यूफैक्चर के लिए अधिकांश फार्मा इन्ग्रीडीएंट चीन से आयात होते है। वही कुछ एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडीएंट के लिए चीन पर निर्भरता लगभग 80-90 फीसदी तक होती है। साथ ही चीन में पिछले साल की शुरुआत में कोरोना महामारी बढ़ने के बाद सप्लाई में दिक्कतों के चलते भारतीय दवा आयातकों की कोस्ट बढ़ ने लगी थी। उसके बाद चीन ने 2020 के मध्य में सप्लाई शुरू होने पर कीमतों में 10-20 फीसदी की वृद्धि की थी ।
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कच्चे माल की सप्लाई
देश में दवाएं बनाने के लिए ज्यादातर कच्चा माल चीन से आता है। जो कोरोना महामारी के कारण काफी प्रभावित हुआ है। दवा कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक, दवाओं के लिए कच्चा माल जर्मनी और सिंगापुर से भी आता है।चीन के मुकाबले इनकी कीमत ज्यादा होती है। उसी कारण ज्यादातर कंपनियां चीन से ही खरीदारी करती है। एंटीबायोटिक दवाओं का भी ज्यादातर कच्चा माल चीन से आता है। सरकार ने हेपरिन इंजेक्शन की कीमत में भी वृद्धि की है।
जिसका उपयोग कोविड-19 के उपचार में भी किया जाता है। चीन से आयातीत एपीआई की लागत में बढ़ोतरी से कई कंपनियों के अनुरोध के बाद पिछले साल जून में सरकार ने हेपरिन पर 50 % प्राइस वृद्धि की अनुमति दी थी