World Kidney Day : Tips for Healthy Kidney
दुनियाभर में 12 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे (World Kidney Day) मनाया जाता है। वैसे तो एक इंसान के शरीर के सभी हिस्से काफी महत्वपूर्ण हैं लेकिन शरीर में गुर्दे यानी किडनी का भी अपना अलग महत्व है। बता दे कि इंसान के शरीर में ज्यादातर दो किडनी होती है। लेकिन इंसान एक किडनी के सहारे भी चल सकता है। यहीं कारण है कि अधिकतर जरुरतमंद को कभी- कभी लोग एक किडनी दान कर देते है।
कुछ लोगों को 3 किडनी भी होती है। जो की सुपरन्युमरी किडनी से जाना जाता है। वहीं बता दे कि कुछ लोग बिना किडनी के भी पैदा होते हैं। जानकारी के अनुसार एक किडनी वाले लोग बहुत ही सामान्य और स्वास्थ तरीके से अपनी जीवन गुजार लेते हैं। लेकिन सावाधानी बरतनी पड़ती है। किडनी चाहें एक हो या दो लेकिन ये सावधानियां सबकों ही बरतनी चाहिए। इस वर्ल्ड किडनी डे (World Kidney Day) जानिए कि कैसे आप अपनी किडनी की देखभाल कर सकते हैं।
- नियमित व्यायाम करें
किडनी की परेशानियों का बड़ा कारण है मोटापा है। मोटापे से बचे रहने के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है। - शराब और धूम्रपान को न कहें
अधिक शराब शरीर के इलेक्टोराइट संतुलन को बिगाड़ देती है और हॉर्मोन को भी प्रभावित करती है। इससे गुर्दों का काम कठिन हो जाता है। धूम्रपान भले ही गुर्दों को सीधे प्रभावित न करता हो, लेकिन धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है और एक समय के बाद गुर्दों के लिए मुश्किल पैदा कर देता है। - नमक कम खाएं
खाने में नमक अधिक होने से ये सोडियम को बढ़ाती है और यह रक्तचाप बढ़ाने में देर नहीं लगाता, इसलिए अपने खाने में नमक को कम रखें। - डायबिटीज का प्रबंधन
शुगर और ब्लड प्रेशर, दोनों ही गुर्दों के दुश्मन हैं। जहां तक हो सके शुगर को नियंत्रण में रखें, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहे और आप अन्य बीमारियों से भी पूरी तरह सुरक्षित रह सकें। - पानी खूब पिएं
पानी पीने से शरीर डीहाइड्रेट नहीं होता, खाना पचने में आसानी होती है, शरीर का तापमान कंट्रोल में रहता है। पानी गुर्दों से टॉक्सिन दूर करता है और अवशोषित पदार्थ यूरीन के जरिये बाहर चले जाते हैं। - सही खाएं
जंक फूड और ज्यादा तला-भुना खाना खाने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए लहसुन, हरी व पत्तेदार सब्जियां, तरबूज, संतरा, नीबू, मछली, अंडे आदि प्रमुखता से खाएं। - यूरीन को मत रोकिए
यदि आप यूरीन को आने से रोक रहे हैं तो इसका गलत असर गुर्दों पर पड़ेगा, क्योंकि फिल्टर होने की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी और टॉक्सिन बाहर निकलने के बजाय वहीं पड़े रह कर शरीर को खराब करेंगे।