नई दिल्ली: Flag of India: प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है। यह एक स्वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था। जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।
यह भी पढ़ें- Independence Day: फुल ड्रेस रिहर्सल आज, दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर भीषण जाम, यहां है पूरी जानकारी
Flag of India: भारतीय राष्ट्रीय ध्वज
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
(Flag of India) कैसे आया तिरंगा
साल 1931 वो वर्ष है जो राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास में यादगार करार दिया जाता है। तिरंगे ध्वज को देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पास किया गया था। इसी ध्वज ने वर्तमान में जो तिरंगा है, उसकी आधारशिला तैयार की थी। यह झंडा केसरिया, सफेद और बीच में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। इसके बाद 21 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसी झंडे को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया. 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद इसमें बस एक ही बदलाव हुआ। तिरंगे में चरखे की जगह पर अशोक चक्र को दिखाया गया था।
तिरंगा किसने बनाया और पहली बार कहाँ फहराया गया
तिरंगे को आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने बनाया था। उनकी मौत साल 1963 में हुई और 46 साल बाद इनको डाक टिकट जारी करके सम्मान दिया गया। तिरंगे को पहली बार 9 मई 1953 को भारत की सबसे ऊंची पर्वत माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया गया था।
जानें तिरंगे से जुड़े तथ्य
किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए। बताया जाता है कि भारत के ष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है। देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है। तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है। झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
चक्र
इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।
जब गांधी जी को भेंट किया गया झंडा
सन् 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान विजयवाड़ा में एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।