Indian Air Force: असम के डिब्रूगढ़ जिले में मोरन के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (NH-27) पर नॉर्थ ईस्ट की पहली इमरजेंसी लैंडिंग फेसिलिटी (Emergency Landing Facility) तैयार की गई है। यह 4.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी भारत की रणनीतिक तैयारियों को मजबूत करने और आपदा प्रबंधन में सहायता के लिए बनाई गई है। यह परियोजना खासकर चीन की सीमा से लगे संवेदनशील पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना (IAF) की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाएगी।
पहली इमरजेंसी एयर स्ट्रिप
यह हवाई पट्टी डेमो और मोरन के बीच NH-27 पर स्थित है। इसे सुखोई और राफेल जैसे लड़ाकू जेट्स के साथ-साथ परिवहन और नागरिक विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय वायुसेना के ईस्टर्न एयर कमांड द्वारा सितंबर 2025 तक इस पट्टी पर ट्रायल लैंडिंग शुरू होने की उम्मीद है, और यह अक्टूबर 2025 तक पूरी तरह चालू हो जाएगी। यह सुविधा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान पारंपरिक रनवे तक पहुंच मुश्किल होने पर भी विमानों की लैंडिंग में मदद करेगी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस परियोजना को राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह पूर्वोत्तर में अपनी तरह की पहली सुविधा है, और भविष्य में इसका उपयोग एयर शो के लिए भी किया जा सकता है। भारत सरकार ने असम में दो और ऐसी सुविधाओं को मंजूरी दी है—एक बोरोमा-तिहू में और दूसरी नागांव और लुमडिंग के बीच शंकरदेवनगर में।
रणनीतिक और आपदा प्रबंधन में योगदान
यह हवाई पट्टी पूर्वोत्तर भारत में सशस्त्र बलों को रणनीतिक लचीलापन प्रदान करेगी। बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, जब पारंपरिक हवाई अड्डों तक पहुंच बाधित हो सकती है, यह सुविधा राहत कार्यों और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL), और असम सरकार के सहयोग से विकसित किया गया है। मुख्यमंत्री सरमा ने इसकी प्रगति की समीक्षा के लिए स्थल का दौरा किया और अधिकारियों के साथ चर्चा की।
असम सीएम ने साझा की तस्वीरें
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने X पर इस सुविधा की तस्वीर साझा करते हुए इसे “नॉर्थ ईस्ट की पहली इमरजेंसी लैंडिंग फेसिलिटी” बताया। कई यूजर्स ने इसे रणनीतिक और आपदा प्रबंधन के लिए एक बड़ा कदम माना। यह इमरजेंसी एयर स्ट्रिप असम और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में नई संभावनाएं खोलेगी।