टाइटैनिक का मलबा देखने गई पनडुब्बी पानी में डुब गई. तभी से ये बात चर्चा में बनीं हुई है क्योंकि समुद्र से ज्यादा सेफ अंतरिक्ष लगता है जहां पर ना जानवर हैं, न हीं बर्फ के पहाड़. यह बात समंदर और भी को ज्यादा भयंकर बना देती है समुंदर की गहराई में लाखों जहाजों का मलबा इकट्ठा हुआ पड़ा है, जिमसे से खतरनाक रासायनिक पदार्थ निकल रहे हैं.
जून के महिनें में UNESCO ने ऐलान किया है कि उसे समुंद्र के अंदर कई जहाजों का मलबा इकट्ठा पड़ा मिला है. और तीन जहाज जो की 1000 साल से ज्यादा पुराने बताए जा रहे हैं टाइटैनिक को तो सब जानते ही हैं. सभी मानते है की ये कभी न डूबने वाली शिप है,लेकिन यह अपने पहले ही सफर में गहरे समुद्र में डूब गई, लाखों जहाज अब जल मगन हों चुके हैं. और अब ये संख्या करोड़ों में पहुँच गई है,
पहली समुद्री यात्रा कब हुई ?
जहाजों का समंदर में डूबना उतना ही पुराना है, जितना इंसानों का समुद्री सफर. पहली समुद्री यात्रा कब की गई होगी, इस पर पुरातत्वविज्ञानी अलग-अलग थ्योरीज दे चुके है. कुछ कहना है कि प्री-ह्यूमन्स के समय से ही समुद्री सफर शुरू हो चुका था. यानी ये बात करीब 10 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. नीदरलैंड में ऐसी ही एक नाव खोजी गई थी, बताया जाता हे कि पहले दक्षिणपूर्वी एशिया के शिकारी समुद्र में निकले होंगे, उस समय उनकी नाव किसी हादसे में पलट गई होगीस. अब तक बहुत सारे जहाजों का पता लगाया जा चुका है.
अभी तक इतने जहाज डुब चुके है ?
आंकडों के हिसाब से अभी तक सबसे ज्यादा जहाज दूसरे विश्व युद्ध के दौरान डूबे चुके हे. करीब 5 सालों के दौरान 15 हजार से ज्यादा बड़े जहाज डूब चुके है. ये लड़ाकू सामानों से भरे हुए जहाज थे, जिनमें तेल, केमिकल या मेटल भरा हुआ था. वहीं यूनेस्को का कहना है कि दुनियाभर के समुद्र में 30 लाख से भी ज्यादा जहाज डूब चूके हैं
क्या खारा पानी मलबे को खा सकता है?
पानी के अंदर हजारों सालों तक पड़ा हुआ, जहाजों का मलबा धीरे-धीरे घुलने लगता है. उदाहरण के तौर पर टाइटैनिक को ही लें लेते है. इसके मिलने पर इसके साइज में काफी फर्क आया है. इसकी वजह समुद्र का पानी नहीं है, बल्कि उसमें मौजूद वह सभी बैक्टीरिया है, जो मेटल को भी निगल जाते है. समुद्र से मलबे का कुछ हिस्सा लेकर आई टीम ने इसमें एक बैक्टीरिया पाया, जिसे हलोमोनस टाइटैनिकाई नाम दिया गया, ये शिप के आयरन को बहुत तेजी से खा जाती है. विज्ञानिकों का मानना है कि अगले 10 या 15 सालों के भीतर टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह गायब हो जाएगा.
क्या खतरे हैं मलबे के?
समुद्र में पड़े मलबे से लगातार खतरनाक केमिकल निकल रहा है. जैसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जो जहाज समुन्दर में डूब गए थे, उनमें तेल, बम-कारतूस या ऐसे बहुत सारे केमिकल थे, जो तबाही मचा सकते थे. हादसों के बाद जहाज पानी में तो समा गए, लेकिन उनसे टॉक्सिन्स का निकलना बंद नहीं हुआ. रिसर्च जनर्ल फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस ने साल 2022 में खुलासा किया कि इस मलबे से आर्सेनिकी लौह , निकला और पेट्रोलियम से लेकर विस्फोट करने वाले बहुत सारे केमिकल पानी में मिल गए।
क्यों चली सालो तक तलाश
समुंन्दर में जहाजों के साथ बहुत सारा सोना भी डूब गया. अमेरिकी सरकारी विभाग नेशनल ओशन सर्विस की मानें तो समुद्र की तलहटी में करीब 20 मिलियन टन से भी ज्यादा सोना पड़ा हुआ है. इसकी कीमत 800 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा होगी. ये इतना ज्यादा है कि इससे दुनिया भर के कई ताकतवर देशों जैसे देश बनाए जा सकते है.
जो सौना गुलाम देशों से जीतकर यहां से वहां ढोया जाता था. जहाज डूबने के हर हादसे के साथ ही इसकी खोज शुरू हो जाती है, लेकिन अब तक किसी के हाथ कुछ नहीं लगा।