Pervez Musharraf : कोर्ट ने ऐसा आदेश लिखा
- 17 दिसंबर को सुनाई गई सजा
- 2007 का है मामला
- कोर्ट के आदेश में लिखा ये …
नई दिल्ली- पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ (Pervez Musharraf) पर देशद्रोह का मामला चल रहा है। पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ पर यह मामला 2007 से चल रहा है। 17 दिसंबर को इस मामले पर अदालत (Pakistani Court) ने फैसला सुना दिया है। मुशर्रफ को सजा (Death Sentence) सुनाते हुए कोर्ट ने ऐसा आदेश लिखा है जोकि पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार है, जब किसी पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति को ऐसे सजा सुनाई गई हो।
- चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली पीठ
- 167 पन्नों के आदेश में सुनिश्चित किया
- हर सूरत में मुशर्रफ को पूरी सजा
- डी चौक लटकाया जाए शव
दरसल पाकिस्तान पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति पाकिस्तान कोर्ट द्वारा फांसी की सुनाते हुए एक आदेश में लिखा है कि अगर मुशर्रफ फांसी से पहले मर जाते हैं तो उनकी लाश को खींचकर इस्लामाबाद के डी चौक यानी डेमोक्रेसी चौक पर लाया जाए और तीन दिन तक वहां लटकाया जाए। वहीं बता दें कि पेशावर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 167 पन्नों के आदेश में यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हर सूरत में मुशर्रफ को पूरी सजा दी जाए।
- अंतिम सांस तक फंदे पर लटकाया जाए
- पाक संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत सजा
- पाकिस्तान सरकार ने कोर्ट की सजा पर जताई नाराजगी
वहीं कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन कोर कमांड कमेटी, मुशर्रफ के पहरे में तैनात सभी वर्दीधारी अधिकारी भी उसके इस कृत्य में भागीदार माने जाएंगे। पूरे मामले में कोर्ट आरोपी मुशर्रफ को दोषी करार देता है और इन अपराधों के लिए आरोपी को अंतिम सांस तक फंदे पर लटकाया जाए। बता दें कि पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत पकिस्तान कोर्ट ने सजा सुनाई है।
पाकिस्तान सरकार ने कोर्ट द्वारा मुशर्रफ की फांसी की सजा पर नाराजगी जताई है। सरकार ने कहा इस तरीके से सुनाई जाने वाली सजा सही नहीं है। वहीं सरकार ने ये भी कहा की इस तरीके से सुनाए गए, फैसले पर उच्च न्यायालय जज के खिलाफ सुप्रीम न्यायिक परिषद के पास अर्जी दी जाएगी।
Pakistani Court में कब कराया गया था मामला दर्ज ?
बता दे कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर 3 नवंबर 2007 को आपातकाल लगाने के लिए देशद्रोह का मामला चल रहा है। यह मामला नवाज सरकार द्वारा दर्ज कराया गया था। यह मामला काफी समय से लंबित चल रहा था। जो कि दिसंबर 2013 में जाकर उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ।
वहीं 31 मार्च 2014 में परवेज मुशर्रफ को आरोपी करार दे दिया गया था। बता दे कि अपीलीय मंचों पर याचिकाओं के कारण पूर्व सैन्य शासक के मुकदमे में देरी हुई और परवेज मुर्शरफ शीर्ष अदालतों और गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद मार्च 2016 में पाकिस्तान से बाहर चले गए थे।