ब्रिटेन को आखिरकार नया प्रधानमंत्री मिल गया। चुनावों में कन्जर्वेटिव पार्टी की शानदार जीत के बाद बोरिस जॉनसन ने औपचारिक तौर पर अपना पद संभाल लिया है। लंदन के इस पूर्व मेय़र के नेतृत्व में बनी सरकार कई मायनों में बेहद खास है, क्योंकि इस सरकार पर भारतवंशियों का दबदबा साफ दिख रहा है।
तीन भारतीय मूल के मंत्रियों को जगह
जॉनसन की कैबिनेट में तीन भारतीय मूल के मंत्रियों को जगह मिली है। इनमें सबसे अहम नाम है प्रीति पटेल का हैं, जिन्हें गृह मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। ब्रिटिश सरकार में किसी भारतीय को अब तक मिला यह सबसे बड़ा पद है। उनके अलावा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले आलोक शर्मा को अंतरराष्ट्रीय विकास राज्य मंत्री बनाया गया है। यही नहीं भारत के दिग्गज कारोबारी एनआर नारायणमूर्ति के दामाद सांसद ऋषि सुनक को ट्रेजरी मिनिस्ट्री में मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। इन तीन भारतीयों के अलावा पाकिस्तान मूल के साजिद जावीद को वित्त मंत्री की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।
ब्रिटिश कैबिनेट में भारतीय मूल की धमक
ब्रिटिश कैबिनेट में भारतीय मूल और पाकिस्तानी मूल के राजनेताओं की ये धमक बता रही है कि ब्रिटेन का मिज़ाज बदल रहा है, क्योंकि आज की ताऱीख वहां भारतीय मूल और पाकिस्तानी मूल के नागरिकों की एक बड़ी आबादी रह रही है और सक्रिय रूप से ब्रिटिश सियासत में उनका दखल भी बढ़ रहा है। हालांकि, प्रवासी भारतीयों की बात करें तो वो लंबे वक्त तक लेबर पार्टी के समर्थक माने जाते थे, लेकिन वक्त के साथ साथ वोटर्स का रूझान बदला।
15 लाख से ऊपर भारतीय
आज से करीब 80 साल पहले 1960 में ब्रिटेन में पांच हज़ार भारतीय भी नहीं थे, आज उनकी संख्या 15 लाख से ऊपर हो चुकी है। उस वक्त लेबर पार्टी ने भारतीयों के हितों की रक्षा की थी लिहाजा भारतीयों का रुझान उनकी तरफ था, लेकिन अब कंजरवेटिव भी भारतीय मूल के नागरिकों की अहमियत को समझ रहे हैं। लिहाजा भारतीय मूल के लोगों ने भी उनकी तरफ सकारात्मक रुख दिखाया है और आज ब्रिटेन में भारी बहुमत की सरकार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, क्योंकि जीत के प्रमुखकारणों में से एक भारतीय मूल के लोगों का उन्हें अपार समर्थन भी शामिल है। अप्रवासी आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा होने के चलते भारतीय वोटर ब्रिटेन की राजनीतिक पार्टियों के लिए लगातार अहम होते जा रहे हैं।
ब्रिटेन में कुल 4.5 करोड़ मतदाता
किसी पराये देश में परदेशियों की यह उपलब्धि किसी भी रूप में कम नहीं आकी जा सकती है। ब्रिटेन में कुल 4.5 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें से 15,15,000 भारतीय मूल के हैं। इस संख्या बल का ही नतीजा रहा है कि चुनाव के दौरान कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी सहित अन्य कई पार्टियों के छोटे-बड़े नेताओं ने भारतीयों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कुछ साल पहले ही हुई एक रिसर्च में सामने आया था कि 2050 तक ब्रिटेन की 20 से 30 फ़ीसदी आबादी भी एंगलो-सेक्सन या गोरी नहीं रह जाएगी।
मुस्लिमों की भी भारी संख्या
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारतवंशियों को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। ये ब्रिटेन में साफ देखा जा सकता है। हालांकि, ब्रिटेन में पाकिस्तान से आए मुस्लिम भी बड़ी संख्या में रहते हैं और ये समुदाय बेहद मुखर माना जाता है। 9 साल के साजिद जाविद पाकिस्तान मूल के परिवार में ब्रिटेन में पैदा हुए। साल 2018 में जब टेरीज़ा मे की सरकार में उन्हें गृहमंत्री बनाया गया तो वो ब्रिटेन के पहले नस्लीय अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले गृहमंत्री बने थे और उन्हें ये अहम जिम्मेदारी देने के पीछे का मकसद ही पाकिस्तानी मुस्लिम समुदाय को साधे रखना है।
– वासिन्द्र मिश्र