पटना: मई 1999 में जब कश्मीर की वादियां शांत थीं तब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल के बटालिक सेक्टर में घुसपैठ कर ली।बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन कश्मीर में तैनात थी और वह इस चुनौती के लिए तैयार थी। 28 मई को जब मेजर एम. सर्वानन अपनी टुकड़ी के साथ 14,229 फीट की ऊंचाई पर पेट्रोलिंग करने के लिए निकले तो अचानक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारी गोलीबारी शुरू कर दी वे गोला-बारूद के साथ आए थे। तब मेजर सर्वानन ने रॉकेट लॉन्चर उठाया और दुश्मन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। उनके इस निशाने से दो घुसपैठिए ढेर हो गए, लेकिन मेजर सर्वानन ने पहला बलिदान दिया। उनकी इसी शहादत के साथ कारगिल युद्ध की शुरुआत हो गई। ऐसे में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने अपना साहस दिखाया। इनके साथ बिहार के जांबाज-मुजफ्फरपुर के सिपाही प्रमोद कुमार, पटना के नायक गणेश प्रसाद यादव और सिपाही ओमप्रकाश गुप्ता ने अग्रिम पंक्ति में लड़ते हुए अपनी वीरता से इतिहास रच दिया।
करगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के 18 सपूतों ने अपना बलिदान दिया और 26 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर तिरंगा गर्व से तिरंगा फहराया।ऑपरेशन विजय के तहत चली इस जंग में बिहार के सैनिकों ने अदम्य साहस और बलिदान से दुश्मन को धूल चटाई. मेजर एम. सर्वानन से लेकर नायक शत्रुघ्न सिंह तक, इन जांबाजों ने इतिहास रचा।
बिहार के सैनिकों ने दिखाई अद्भुत वीरता
दरअसल, गर्मियों में जब कश्मीर की वादियां शांत थीं तब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। ऐसें में भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया। इस ऑपरेशन में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन ने बटालिक सेक्टर में मोर्चा संभाला, जहां दुश्मन ने अपना कब्जा जमाया था। बिहार के सैनिकों ने 14,229 फीट का ऊचांई पर जहां सांस लेना भी मुश्किल था लेकिन वीर जवानों ने वीरता को दिखाते हुए इतिहास रचा दिया।
बिहार रेजिमेंट के एक और नायक शत्रुघ्न सिंह की गाथा तो हर भारतीय के रोंगटे खड़े कर देती है. जुब्बार पोस्ट पर दुश्मन की गोलियों से जख्मी होने के बावजूद, वह 11 दिनों तक रेंगकर तीन किलोमीटर पीछे अपने पोस्ट पर लौटे। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसी तरह, समस्तीपुर के नायक दिलीप सिंह ने 28 दिनों तक जुब्बार पोस्ट पर जंग लड़ी और शहीद हो गए। उनकी वीरता के लिए उन्हें सूबेदार के पद पर प्रोमोशन दिया गया।
कर्नल ओपी यादव ने उश समय बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन का नेतृत्व किया था। उन्होंने बटालिक सेक्टर में दुश्मन की कई चौकियों को मुक्त कराया। उनकी रणनीति और सैनिकों के अदम्य साहस ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का रास्ता साफ किया। इस युद्ध में बिहार के 18 सैनिकों ने शहादत दी जिनमें पटना के नायक गणेश प्रसाद यादव और मुजफ्फरपुर के सिपाही अरविंद कुमार पांडेय जैसे नाम शामिल हैं। इन शहीदों की वीरता को सम्मान देने के लिए मेजर सर्वानन और नायक गणेश प्रसाद यादव को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया।
पाकिस्तानी फौजियों को धूल चटा दी
कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर बिहार रेजिमेंट के सैनिकों की वीरता की कहानी हर भारतीय के दिल में गर्व का भाव जगाती है। जवानों के वीरता और बलिदान की कहानी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। पटना के कारगिल चौक इस गौरवमयी इतिहास का जीवंत स्मारक है जो हमें याद दिलाता है कि देश की आन-बान-शान के लिए बिहार के सपूतों ने क्या-क्या बलिदान दिया।






 
  
  
  
  
 



 
                                









 
			




































































 
			
 
                                








 
							
 
  
  
 