Kolkata Law College GangRape: कोलकाता के साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ 25 जून 2025 को हुए कथित गैंगरेप के मामले ने देश को झकझोर दिया है। इस सनसनीखेज मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिका में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए गए हैं, साथ ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के पीड़िता के खिलाफ अपमानजनक बयानों का भी जिक्र किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
सुप्रीम कोर्ट के वकील सत्यम सिंह राजपूत ने 30 जून 2025 को याचिका दाखिल की। इस याचिका में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की गई है। साथ ही टीएमसी नेताओं कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के खिलाफ उनके अपमानजनक बयानों के लिए कानूनी कार्रवाई के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा पीड़िता के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजे की मांग की गई है।
जांच के लिए एसआईटी का गठन
कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच के लिए नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसकी अगुवाई सहायक आयुक्त प्रदीप घोषाल कर रहे हैं। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, जिसमें पीड़िता को गार्ड रूम में जबरन ले जाने की घटना दर्ज है, और आरोपियों के मोबाइल फोन से बरामद 1.5 मिनट की वीडियो क्लिप को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा के कपड़े और एक हॉकी स्टिक भी बरामद की गई है, जिससे पीड़िता के आरोपों को बल मिला है।
चारों आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजा गया
इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ममता सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर निशाना साधा है और एक चार सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो पीड़िता के परिवार और अन्य पक्षों से मुलाकात करेगी। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने भी कॉलेज का दौरा कर पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, टीएमसी नेताओं के विवादास्पद बयानों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। चारों आरोपियों को 27 जून 2025 को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 10 जुलाई 2025 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 3(5) और 70(1) के तहत सामूहिक बलात्कार का केस दर्ज किया गया है, जिसमें न्यूनतम 20 साल की सजा का प्रावधान है। जांच में डीएनए टेस्ट और अन्य फॉरेंसिक सबूतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।