नई दिल्ली: गाजीपुर उत्तर प्रदेश के ददरी घाट के पास गंगा नदी में सोमवार सुबह एक नवजात बच्ची बक्से में बंद मिली। हवा के कारण पानी में तैर रहा एक लकड़ी का बक्सा किनारे आ गया , कुछ समय के पश्चात लोगों ने उसमें किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी। जिसके बाद एक मल्लाह गुल्लू ने बक्से को पानी से बाहर निकाला। बक्से को खोलते ही मल्लाह के होश उड़ गए बक्से के अदर से उसे एक बच्ची मिली।
(Ganga Ki God Main Mili Ganga) गंगा की गोद में मिली “गंगा”
जी हां यह कहानी नहीं, हकीकत है। मल्लाह गुल्लू ने बताया कि गाजीपुर के ददरी घाट पर सोमवार को सुबह करीब 8 बजे गंगा नदी में एक लकड़ी का बक्सा मिला जिसमें से उसको 21 दिन की एक बच्ची रोती हुई मिली।
बक्से में बच्ची के साथ देवी दुर्गा और भगवान विष्णु का चित्र भी था। वहीं नन्हीं बच्ची के कमर में चुनरी बंधी थी। साथ में , बच्ची की जन्मकुंडली भी रखी हुई थी। इसी कुंडली से पता चला कि बच्ची का नाम भी गंगा है और वह महज 21 दिनों की है।
नन्हीं सी जान को बक्से में बंद कर किसने फेंका और क्यों फेंका, इसका पता तो फिलहाल अभी नहीं चल पाया है। मगर बच्ची गंगा जैसी विशाल नदी में जिंदा रह गई, यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस खूबसूरत नन्हीं परी को मल्लाह गुल्लू ने बचाया।
गुल्लू उस बच्ची को अपने घर ले आया, गुल्लू के घर की महिलाओं ने बच्ची को नहला-धुलाकर साफ किया और फिर दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई। गुल्लू ने बताया कि सोमवार को काफी बारिश भी हो रही थी, इस कारण पुलिस को इस घटना की सूचना देने में देर हो गई।
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एक युवक और युवती बच्ची को लेने के लिए मल्लाह के पास ददरी घाट पहुंचें
बक्से में मिली जन्मपत्री के अनुसार, बच्ची का नाम गंगा है. फिलहाल बच्ची पुलिस की सुरक्षा में है। वहीं इस कहानी में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि सोमवार शाम को ही एक युवक और युवती बच्ची को लेने के लिए मल्लाह के पास ददरी घाट पहुंच गए। गुल्लू ने बच्ची को देने से इनकार कर दिया और उसे लेकर सदर कोतवाली चला गया।
गुल्लू मल्लाह के परिवार ने भी नवजात को पालने की इच्छा जाहिर की है. गुल्लू की बहन सोनी का कहना है कि बच्ची को गंगा मैया ने दिया है, इसलिए वह अब इस बच्ची का लालन-पालन खुद करेगी। मंगलवार को उसने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र भी सौंपा। जिसमें डीएम ने एक सप्ताह के भीतर इस पर फैसला लेने की बात कही है।
अभी प्यारी गंगा किस्मत के बॉक्स में तैरते हुए गंगा नदी में एक किनारा पा चुकी है। फेंकने वाले न जाने किस इरादे से उसे गंगा की लहरों के हवाले किया था, यह कोई नहीं जानता। मगर छोटी सी..प्यारी सी गंगा फिलहाल सुरक्षित हाथों में है। यह सुकून देने वाली खबर है।