नई दिल्ली: Cabinet meeting: केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग (Cabinet meeting) में बुधवार को कई बड़े विषयों पर फैसला लिया गया। सरकार की तरफ से बैंक ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन को को मंजूरी दे दी है। अब बैंक के डूबने पर 90 दिन के अंदर ही जमाकर्ताओं को उनका पैसा मिलेगा।
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Cabinet meeting: कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया
कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की ब्रीफिंग करते हुए बताया कि Deposit Insurance Credit Guarantee Corporation बनाया गया था, जब RBI बैंकों मोरेटोरियम लागू किया तो उसके बाद लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आज की कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि बैंक डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर उनके 5 लाख रुपये मिलेंगे।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट मीटिंग (Cabinet meeting) में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि इससे संबंधित बिल को चालू मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि एक्ट में यह संशोधन खाताधारकों और निवेशकों के लिए राहत लेकर आएगा, जिसके तहत उनको धन संबंधी सुरक्षा मिल सकेगी। उन्होंने आगे कहा कि बिल को मंजूरी मिलने के बाद किसी भी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के भीतर ही उनका पैसा लौटाया जा सकेगा। सीतारमण ने कहा कि इस कानून के अंदर सभी कॉमर्शियली ऑपरेटेड बैंक आएंगे।
अगर कोई बैंक डूब जाता है
नियम कहते हैं कि अगर कोई बैंक डूब जाता है तो उस बैंक के ग्राहकों का 5 लाख रुपए तक का डिपॉजिट सिक्योर्ड रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत यह रकम सुरक्षित रहती है। सभी कमर्शियल और को ऑपरेटिव बैंक का इंश्योरेंस DICGC से होता है, जिसके तहत जमाकर्ताओं के बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवरेज मिलता है। DICGC द्वारा बैंक में सेविंग्स, फिक्स्ड, करंट, रेकरिंग जैसे हर तरह के डिपॉजिट को इंश्योर किया जाता है। सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक, कोऑपरेटिव बैंक कवर इसके दायरे में किए जाते हैं। हालांकि अगर तय रकम के अलावा किसी ग्राहक के 5 लाख रुपए से ज्यादा का अमाउंट बैंक में जमा है तो फिर उसकी बाकी की जमा राशि डूबने का डर रहता है।