जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: 1996 के बाल हत्याकांड पर बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। हाई कोर्ट ने बाल हत्याकांड की आरोपी सीमा और रेणुका गावित की फांसी रद्द कर दी है। इस जघन्य कांड की दोनों अपराधियों की फांसी की सजा कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दी है। फांसी में देरी होने के बाद दोनो बहनों ने कोर्ट में सजा को उम्र कैद में बदलने की अपील की थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया।
कोर्ट ने कोल्हापुर की रेणुका शिंदे और सीमा गावित की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया है। साल 2001 में सत्र न्यायालय ने सीमा गावित और रेणुका शिंदे को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने सही ठहराया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी फांसी पर माफी ना देते हुए सजा दिए जाने के आदेश पर मुहर लगा दी थी। आज इस बात को लगभग 21 साल हो गए लेकिन दोनों बहनों को फांसी नहीं हुई। ऐसे में अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में उम्रकैद के लिए अपील कर दी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। जिसमें जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोटवाल ने कहा कि सरकार में बैठे लोगों ने इनकी दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी की। इसलिए दोनों बहनों की सजा को वे बदल रहे हैं। सरकार ने इस मामले में शिथिलता और उदासीनता बरती।
9 बच्चों की हत्या का क्रूर अपराध
ये मामला 1995-96 का है जब रेणुका शिंदे और सीमा गावित ने 13 बच्चों का अपहरण किया था। दोनों बहनों ने 13 बच्चों में से 9 का क्रूरता से कत्ल कर दिया। मामले में लंबी जांच पड़ताल के बाद दोनों बहनों को सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई। लेकिन सजा ए मौत को अमल में लाने के लिए राज्य सरकार का रवैया बेहद लचर रहा। सरकार की लेट लतीफी में इस जघन्य हत्याकांड की अपराधियों की सजा उम्रकैद में बदल गई।