जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: रेलवे की सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ का परीक्षण शुक्रवार को तेलंगाना के सिकंदराबाद में किया गया। ये ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली है। परीक्षण के दौरान 160 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से एक ट्रेन और एक इंजन को एक ही पटरी पर आमने सामने आते हुए चलाया गया, जैसे एक ही पटरी पर दो ट्रेन आ रही हों। ट्रेन में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरे इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन। इस प्रणाली का सफल परीक्षण हो सका।
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रेलवे ‘कवच’ ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर दूर ही रोक दिया। ‘कवच’ को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ‘शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया। एटीपी को कवच नाम दिया गया है।
Indian Railway: ऑटोमेटिक सुरक्षा फीचर
कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगी, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी।
‘कवच’ प्रणाली में हाई फ्रीक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है, जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जाएंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अप्रूव किया गया है।
परीक्षण के दौरान देखा गया कि कवच टेक्नोलॉजी तीन स्थितियों- ‘आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर’ में कैसे काम करती है।
Indian Railway: इस बिंदुओं से समझें
कवच रेडियो के जरिए मूवमेंट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है।
अगर रेल इंजन ब्रेक लगाने में असफल रहता है तो कवच टेक्नोलॉजी आॅटोमेटिक तरीके से ब्रेक लगा देती है।
एलसी गेट्स पास आते ही ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना “कवच” अपने आप सीटी बजाना शुरू कर देती है।
ट्रेन के रेड सिग्नल के करीब पहुंचने पर अपने आप ब्रेक लग जाते हैं
कैब में यह टेक्नोलॉजी लाइन-साइड सिग्नल रिपीट करती है जो उच्च गति और धुंध वाले मौसम में बेहद उपयोगी है।
डायरेक्ट लोको टू लोको कम्युनिकेशन के जरिए टक्कर से बचाव
किसी दुर्घटना की स्थिति में एसओएस फीचर को सपोर्ट करती है
इंटरलॉकिंग के साथ डायरेक्ट इंटरफेस
अस्थायी गति प्रतिबंधों के लिए फंक्शनैलिटी
कवच के लिए बैलिस का विकास
एलटीई पर कवच का विकास
वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना है। दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है। कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है।