GSAT-30 लॉन्च कर ISRO एक बार फिर पंहुचा अंतरिक्ष में
- GSAT- 30 की खासियत (HEADER)
- इसका वजन करीब 3100 किलो
- 15 सालों तक करेगा काम
- 5जी का सपना पूरा होने की उम्मीद
- इंटरनेट की स्पीड बढ़ जाएगी
- DTH का दायरा बढ़ जाएगा
- मोबाइल की कनेक्टिविटी सुधरेगी
- मौसम की स्टीक जानकारी मिलेगी
- भारतीय सेना को भी मदद मिलेगी
नई दिल्ली : इसरो ने एक और कामयाबी हासिल कर ली है, इसरो ने संचार उपग्रह GSAT-30 को सफलतापूर्व लॉन्च किया है, उपग्रह GSAT-30 को 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया, इसे एरियन-5 रॉकेट के जरिए रवाना किया गया, GSAT-30 को सफलतापूर्वक लॉन्च करना इसलिए भी खास है क्योंकि यह इसरो का इस साल का पहला लॉन्च है।
संचार लिंक प्रदान करने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी
बता दें कि GSAT-30 इसरो ISRO द्वारा डिजाइन किया हुआ और बनाया गया एक दूरसंचार उपग्रह है, यह इनसैट सैटेलाइट INSAT Satellite की जगह काम करेगा, इससे राज्य-संचालित और निजी सेवा प्रदाताओं को संचार लिंक प्रदान करने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी, मिशन की कुल अवधि 38 मिनट, 25 सेकंड होगी।
GSAT-30 सैटेलाइट का वजन करीब 3100 किलोग्राम
बता दे कि ये इनसैट-4ए सैटेलाइट की जगह काम करेगा, दरअसल, इनसैट सैटेलाइट-4 की उम्र अब पूरी हो रही है, और इंटरनेट टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव आ रहा है, इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी, इसी जरूरत को पूरा करने के लिए इसरो ने GSAT-30 लॉन्च किया है, GSAT-30 सैटेलाइट का वजन करीब 3100 किलोग्राम है, ये लॉन्चिंग से 15 सालों तक काम करता रहेगा, इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया गया है, इसमें दो सोलर पैनल और बैटरी है,जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी।