जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: बहुत जल्द राष्ट्रमंडल खेलों का आगाज शुरू होने वाला है। इस बार भी सभी लोग यही उम्मीद जता रहे हैं कि भारत को इस बार भी सफलता मिलेगी। लेकिन इस बार खेलो में निशानेबाजी नहीं है और ये वो खेल है जिसमें भारतीय खिलाड़ी अच्छा खासा पद हासिल करते हैं। लेकिन तो क्या हुआ निशानेबाजी ना होने के बाद भी भारत के ज्यादा से ज्यादा पद जीतने की उम्मीद है।
जानकारी के लिए बता दें कि एक साल पहले ही भारत ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया था। अब देखना यह होगा कि ओलंपिक की सफलता का राष्ट्रमंडल खेलो पर क्या असर पड़ता है। बता दें की इन खेलों के लिए खिलाड़ियों के साथ-साथ भारत सरकार ने भी काफी मेहनत की है। बता दें कि सरकार ने इन खिलाड़ियों पर काफी पैसा खर्च करा है।
द ब्रिज की रिपोर्ट की मानें तो भारतीय सरकार ने टोक्यो ओलंपिक के बाद से देश के खिलाड़ियों पर कुल 77.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं ताकि ये खिलाड़ी बर्मिंघम में खेले जाने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक अपने नाम कर सकें। इस कुल रकम में से 42 करोड़ रुपये तो विदेशी दौरों पर खर्च किए गए हैं। वहीं 22.18 करोड़ रुपये नेशनल कैम्पस पर खत्म किए गए हैं। 13.28 करोड़ रुपये विश्व स्तरीय उपकरणों की खरीदने पर खर्च किए गए हैं।
जो आंकड़े मिले हैं उनके मुताबिक, टोक्यो ओलिंपिक के बाद से भारतीय खिलाड़ियों के लिए 111 विदेशी दौरे और टूर्नामेंट आयोजित किए गए। इसमें से 10 एथलेटिक्स में, 26 बैडमिंटन में, सात मुक्केबाजी में, 14 हॉकी में, 7 पैरा स्पोर्ट्स में, 23 स्क्वॉश में, आठ टेबल टेनिस में, 6 वेटलिफ्टिंग में और 10 कुश्ती में।