Satish Dhawan Death anniversary: भारत की अंतरिक्ष यात्रा के अग्रदूतों में से एक प्रोफेसर सतीश धवन का जन्म 25 सितंबर, 1920 को श्रीनगर में हुआ था। आपको बता दें कि पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल के लिए जाने जाते थे। इतना ही नहीं वह अनुकरणीय गणितज्ञ और एयरोस्पेस इंजीनियर भी थे। उनकी पुण्यतिथि पर जानेंगे उनका कितना अहम योगदान रहा है। जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफलता की ओर अग्रसर किया।
कैसे तय किया इसरो तक का सफर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सतीश भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू में बतौर सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर रहे। इसके बाद उन्हें आईआईएससी का चेयरमैन बनाया गया। लेकिन जब साल 1971 में विक्रम साराभाई का निधन हुआ, तब उनके समक्ष इसरो के अध्यक्षपद का प्रस्ताव रखा गया। हालांकि इस पद को ग्रहण करने से पहले उन्होंने दो शर्ते रखी थीं। पहली कि इसरो का मुख्यालय बेंगलुरू में बनाया जाए और दूसरा इसरो में आने के बाद भी वे आईआईएससी के निदेशक का पद नहीं छोड़ेंगे।
सतीश धवन की उपलब्धियां
प्रो. धवन के ही डायरेक्शन में इसरो ने भारत की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान का उपयोग करने के विक्रम साराभाई के सपने को साकार करने की कोशिश की थी। दरअसल, उन्होंने रिटायर होने के बाद भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण सुविधा, जो दक्षिण भारत में चेन्नई से लगभग 100 किमी दूर उत्तर में है जिसे 2002 में उनके निधन के बाद प्रो. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र का नाम दिया गया था।