29 सितंबर 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में मुंबई स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट ने आज गुरुवार को सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आतंकवाद का कोई अपना धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता।
मालेगांव बम धमाके से जुड़े केस में 7 आरोपियों में पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे।
‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता’
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मालेगांव बम धमाके से जुड़े मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त स्पेशल जज विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को भी उजागर किया और कहा कि आरोपी लोग संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। स्पेशल कोर्ट के जज लाहोटी ने कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता…फैसला नैतिकता और सार्वजनिक धारणा पर तय नहीं किया जा सकता।”
विश्वसनीय और ठोस सबूत नहींः कोर्ट
जज लाहोटी ने अपने फैसले कहा कि केस को संदेह से परे साबित करने के लिए इनके पास कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधान लागू नहीं होते।
कोर्ट ने 1000 पेज वाले अपने आदेश में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य पेश करने में विफल रहा। विशेष रूप से, कोर्ट ने उल्लेख किया कि यह साबित नहीं हो सका कि विस्फोट के लिए इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की थी। कोर्ट ने कहा कि धमाके से कम से कम दो साल पहले वह साध्वी बनी थीं…उनके या किसी अन्य आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.कोर्ट ने यह भी कहा, “यह भी साबित नहीं हुआ है कि यह धमाका कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम से हुआ था.”
धमाके के सह-आरोपी कर्नल पुरोहित के घऱ पर आरडीएक्स (RDX) रखे जाने के आरोप के बारे में, कोर्ट ने कहा कि विस्फोटकों के भंडारण को लेकर कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा, “कमरे का स्केच नहीं बनाया गया… सैंपल भी अच्छे नहीं थे. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित के संगठन, अभिनव भारत ने अपने धन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया.
मुआवजे की घोषणा
कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने यह माना कि 6 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन 101 लोगों के घायल होने के दावे को प्रमाणित नहीं माना।
फैसले के बाद क्या बोले आरोपी?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए भावुक होकर कहा, “17 सालों से मेरा जीवन बर्बाद कर दिया गया। ईश्वर उन लोगों को सजा देगा जिन्होंने भगवा को अपमानित करने की कोशिश की। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है।”
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने कहा, “मैं एक देशभक्त सैनिक हूं। मानसिक रूप से बीमार लोगों का शिकार बना हूं। कुछ लोगों ने हमारे अधिकारों का दुरुपयोग किया और हमें भुगतना पड़ा।”