Ayodhya में राम मंदिर का रास्ता साफ़ ! शिया वक्फ बोर्ड की याचिका ख़ारिज
नई दिल्ली : देश के सबसे पुराने विवादित मामले का आज पटाक्षेप होने वाला है। जी हाँ, अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फाइनल फैसला सूना रहा है। अब तक के फैसले में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ होता नज़र आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका ख़ारिज कर दी है और कहा है कि मुस्लिम जमीन पर एकाधिकार साबित नहीं कर पाए। इसके साथ ही विवादित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड को सौंपने की बात अदालत ने कही है।
कोर्ट ने क्या-क्या कहा ?
- निर्मोही अखाड़ा सेवादार नही है, इनकी समय सीमा के बाद याचिका दाखिल हुई है जो 6 साल की थी, इसलिए इसे नही मान सकते,इसे हम नही मान सकते : CJI
- रामलला को कानूनी मान्यता देते हैं : CJI
- ASI की खुदाई के सबूतों को अनदेखा नही कर सकते, हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुरातत्व विभाग ने वहां खुदाई की थी। इसे अनदेखा नही कर सकते : CJI
- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने सुनवाई के दौरान कई बार बयान बदले हैं : CJI
- एएसआई रिपोर्ट के अनुसार- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नही बनी थी, जमीन में पुराने संरचनाये बनी मिली : CJI
- राम चबूतरा, भंडारगृह, सीता रसोई से ये साबित होता है कि यहां हिन्दू परिक्रमा करते रहते थे : सीजेआई
- जहां पर पहले ढांचा था वहां पहले मंदिर था। भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ यह विवाद नहीं है। ढांचा खाली जगह पर नहीं बना : सीजेआई
- विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे, गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन में भी हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ। चबूतरा, भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है। वहां हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता : सीजेआई
- 1856 से पहले वहां नमाज़ होती थी या नही, या फिर अंदरूनी हिस्से में हिन्दू वहां पूजा करते थे..इसका सबूत नही है… हिंदुओं को रोके जाने पर फिर उंन्होने बाहर अंग्रेज़ो द्वारा लगवाई गयी रेलिंग के बाहर चबूतरे पर ही पूजा करना शुरू कर दिया .. फिर भी हिन्दू पक्ष मुख्य गुम्बद के नीचे गर्भ गृह मानते हैं : सीजेआई
- टाइटल सूट 4, और 5 में संतुलन बनाना होगा, हाईकोर्ट के तीन हिस्से वाला फैसला संतोषजनक और तार्किक नही था..हम इसे दो लोगों का विवाद मानते हैं..
रामलला विराजमान, और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को ही पक्षकार मानते हैं : सीजेआई