भारतीय कंपनियों के लिए खतरा ना बन जाए FDI!
कोरोना वायरस के हमले के बाद पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में ऐसी आशंकाएं पैदा हो गई हैं जिनके बारे में किसी ने सोचा नहीं था। सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था हो या राजनीतिक हालात दुनिया भर में बड़ी तेजी से कोरोना के चपेट में आते जा रहे हैं। कोरोना ने भारत की सुस्त चल रही अर्थव्यवस्था को तो पूरी तरह रोक ही दिया है। अब भारतीय अर्थव्यवस्था का कंट्रोल दूसरे देशों के हाथ में पहुंचने की आशंका भी पैदा हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे पहले इस बात की आशंका जताई और सरकार को आगाह किया। राहुल ने ट्वीट किया है कि , ‘भीषण आर्थिक मंदी ने कई भारतीय कॉरपोरेट को कमजोर कर दिया है, उन्हें अधिग्रहण के लिये आसान निशाना बना दिया है। सरकार को राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में विदेशी कंपनियों को किसी भारतीय कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।’
शेयर गिरने का फायदा उठा रहीं विदेशी कंपनियां
कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में आई गिरावट का विदेशी कंपनियों ने फायदा उठाना शुरू कर दिया है। इसमें सबसे आगे कोरोना वायरस को पूरी दुनिया तक पहुंचाने वाला चीन, उसकी कंपनियां और संस्थाएं हैं। चीन की निगाह भारतीय कंपनियों पर भी हैकोरोना महामारी के भारत में फैलेने के बाद चीन के सेंट्रल बैंक ने भारतीय कंपनी एचडीएफसी के करीब 1.75 करोड़ शेयर खरीद लिए जो कंपनी की हिस्सेदारी का एक फीसदी है। चीन के केंद्रीय बैंक ने यह खरीदारी ऐसे वक्त में की है, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है। HDFC के शेयर में अब तक 41% की गिरावट आ चुकी है।
कहीं मुसीबत ना बन जाए FDI बढ़ाने का फैसला!
मोदी सरकार ने आर्थिक मंदी से बाहर निकलने के लिए लिए पिछले साल ही FDI नियमों में ढील दी थी। उस वक्त ना तो सरकार और ना ही कंपनियों ने सोचा था कि कोरोना जैसी महामारी से दो-चार होना पड़ेगा। लेकिन अब कोरोना के काल में ये फैसला भारतीय कंपनियों के लिए काल साबित हो सकता है। मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में FDI के नियमों में ढील देने को मंजूरी दी थी।
माइनिंग, कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग में 100 फीसदी डिजिटल मीडिया में 26 फीसदी सिंगल ब्रैंड रिटेल सेक्टर में लोकल सोर्सिंग को विस्तार देते हुए 30 फीसदी FDI के मंजूरी दी गई है। लेकिन अब जिन कंपनियों में फॉरेन इनवेस्टमेंट ज्यादा है उनके टेकओवर की संभावनाएं बढ़ गई हैं। क्योंकि कोरोनो की वजह से बंद बड़ी आर्थिक गतिविधियों के बीच कंपनियों को खुद के अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो रहा है।
कंपनियों को बचाने के लिए सरकार आगे आए
कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों और इकोनॉमिक एक्सपर्ट ने कंपनियों को टेकओवर से बचाने के लिए सरकार से खास पैकेज देने की मांग की है। एसोचैम ने 15 से 23 ट्रिलियन रुपए और फिक्की ने करीब 9 से 10 ट्रिलियन रुपए के राहत पैकेज का अनुमान लगाया है। कंपनियों को ये राहत पैकेज तुरंत जमीन तक पहुंचाना जरूरी है।
कोरोना वायरस महामारी के बाद चीन एशिया के बड़े देशों की कंपनियों में ताबड़तोड़ हिस्सेदारी खरीद रहा है। चीन ने पाकिस्तान तथा बांग्लादेश सहित एशियाई देशों में खासकर इनफ्रास्ट्रक्चर तथा टेक्नॉलजी कंपनियों में निवेश में भारी बढ़ोतरी की है। चीन के निशाने पर भारत भी है। भारत चीन चंगुल में ना जाने पाए इसके लिए सरकार को पूरी तरह अलर्ट रहना होगा।
- रतन श्रीवास्तव