जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: कोरोना वायरस का अभी खात्मा भी नहीं हुआ कि एक और वायरस ने दहशत फैला दी है। दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अफ्रीकी देशों के साथ साथ अन्य देश भी वायरस की चपेट में आ रहे हैं। यह बीमारी महज 15 दिन के अंदर 15 देशों में फैल गई है।
सोमवार को बेल्जियम के बाद ब्रिटेन ने भी मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए 21 दिन का क्वारैंटाइन पीरियड कंपलसरी कर दिया है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि किसी भी देश में इस बीमारी का एक मामला भी आउटब्रेक माना जाएगा।
भारत में भी अलर्ट
देश में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया लेकिन अलर्ट जारी कर दिया गया। सोमवार को मुंबई के बृहन्मुंबई नगर निगम ने कस्तूरबा अस्पताल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए 28 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड तैयार कर दिया है।
तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट करें और सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेजें।
इन देशों में फैली बीमारी
ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, इजराइल, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में मंकीपॉक्स के केस सामने आए हैं। केवल 2 हफ्तों में ही मामलों की संख्या 100 के पार जा चुकी है। हालांकि, इस बीमारी से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है।
बच्चों और गर्भवतियों के लिए खतरा ज्यादा
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स जैसा दुर्लभ संक्रमण वैसे तो अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन यह कुछ लोगों में गंभीर साबित हो सकता है। ऐसे लोगों में छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग शामिल हैं। 5 साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं।
WHO इस बात से भी चिंता में है कि जिन लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हो रही है, उनमें से ज्यादातर लोगों का अफ्रीकी देशों से कोई कनेक्शन नहीं है। दरअसल, यह वायरस ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है। नाइजीरिया, घाना और डीआर कांगो जैसे देशों में इसके मामले मिलना आम है।
क्या है मंकीपॉक्स, लक्षण, कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली बार 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था। 1970 में पहली बार इंसान में इसके संक्रमण के पुष्टि हुई थी। इसका वायरस चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
मंकीपॉक्स का संक्रमण आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद से भरे दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिन बाद सूखकर गिर जाते हैं।
- मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीज को बुखार
- सिरदर्द
- लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन)
- पीठ दर्द
- मायालगिया (मांसपेशियों में दर्द)
- इंटेंस अस्ठेनिया (ऊर्जा की कमी) जैसे कई लक्षण महसूस हो सकते हैं
बचाव
मुंह या आंखों के किसी भी घाव को छूने से बचें। कॉर्टिसोन वाले उत्पादों से बचें। माउथ रिंस और आई ड्रॉप का उपयोग किया जा सकता है। गंभीर मामलों के लिए वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन (VIG) की सिफारिश की जा सकती है।
वहीं, मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन पहले ही बन चुकी है। चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स पर 85 फीसदी तक कारगर होती है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन ने 2019 में jynneos नाम की वैक्सीन को मंजूरी दी थी। यह चेचक और मंकीपॉक्स दोनों के लिए इस्तेमाल की जाती है।
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।