Om Birla का EU के अध्यक्ष को पत्र
नई दिल्ली- CAA को लेकर देश के अंदर विरोध झेल रही मोदी सरकार को विदेशों से भी इस मसले पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपियन यूनियन (EU) की संसद में CAA के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है। वहीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने इस पर आपत्ति जताते हुए EU के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
EU के प्रस्ताव पर Om Birla की पुनर्विचार नसीहत
ओम बिरला (Om Birla) ने EU के अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को पत्र में कहा की किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है। जिसका निहित स्वार्थ के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। वहीं ओम बिरला ने लिखा की इस कानून को दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद पारित किया गया है।
CAA देने के लिए न कि छीनने के लिए
इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कहा कि यह कानून पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देने के लिए है न कि किसी की नागरिकता छीनने के लिए। ओम बिरला (Om Birla) ने EU को नसीहत देते हुए कहा कि संसदीय यूनियन के सदस्य होने के नाते हमें विधानमंडलों की प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।
EU का CAA के खिलाफ प्रस्ताव
दरसल यूरोपीयन यूनियन के 150 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि CAA से भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है। सांसदों की तरफ से तैयार पांच पन्नों के प्रस्ताव में कहा गया कि इसे लागू करना दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है। इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग बिना नागरिकता के हो जाएंगे। उनका कोई देश नहीं रह जाएगा।
EU सांसदों के प्रस्ताव में ये आरोप लगाया गया है कि CAA कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। यह कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है। प्रस्ताव में CAA को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का भी उल्लंघन बताया गया है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं। प्रस्ताव को यूरोपियन यूनियन की संसद में 29 जनवरी को पेश किया जाएगा। जिसपर बहस के बाद 30 जनवरी को वोटिंग भी की जाएगी।