जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ की शॉर्टलिस्ट में शामिल हो गया है। ये पहली बार है जब बुकर पुरस्कार की दौड़ में कोई हिंदी उपन्यास शामिल हुआ है। गीतांजलि श्री का ये उपन्यास अंतिम 6 किताबों में शामिल हुआ है।
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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मीं गीतांजलि श्री तीन उपन्यास और कई कहानियां लिख चुकी हैं। उनकी किताबों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। जिसमें अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई भाषाएं हैं। ‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की एक 80 वर्षीय वृद्ध महिला की कहानी है जो अपने पति के निधन के बाद तनाव में चली जाती हैं और फिर एक नई जिंदगी शुरू करने की इच्छा जाहिर करती है।
वृद्ध महिला पाकिस्तान जाने की जिद करती है और अपनी किशोरावस्था में बंटवारे की वजह से मिले दुख-परेशानियों को भी याद करती है। गीतांजलि श्री के रेत समाधि उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है। डेजी लेखिका होने के साथ साथ पेंटर भी हैं।
50 लाख रूपए बुकर प्राइज
बुकर पुरस्कार जीतने वाले को 50 हजार पाउंड यानी करीब 50 लाख रुपये की इनामी राशि मिलेगी। जो लेखक और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाती है। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हर साल किसी ऐसी किताब को दिया जाता है जिसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया हो और जो आयरलैंड या ब्रिटेन में प्रकाशित हुई हो। इसमें शॉर्टलिस्ट होने वाले हर लेखक और अनुवादकर को भी 2500 पाउंड की राशि मिलती है। रेत समाधि के बुकर अवॉर्ड में शॉर्टलिस्ट होने की घोषणा लंदन बुक फेयर में हुई।