रश्मि सिंह|Maulana Arshad Madani: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गुरुवार को लखनऊ के बड़ी बैठक की। बैठक में वो लोगो से अपील की और कहा कि मुस्लिम समाज के सुधार के लिए संघर्ष करना इस समय की सबसे महत्वपूर्ण जरुरत है। मदनी ने आगे कहा कि, प्रत्येक इकाई अपने दायरे में रहकर समाज सुधार कार्यक्रम को एक आंदोलन के जरिए अपने लोगों तक पहुंचाए।
सांप्रदायिकता को बताया खतरा
दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने अपने बैठक में कह कि, साम्प्रदायिकता ने अतीत में देश को नुकसान पहुंचाया है और उसकी बर्बादी आज भी हमारे सामने है। ऐसे में इसका हर स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए। साथ ही किसी भी वर्ग द्वारा फैलाये गए साम्प्रदायिकता का बिल्कुल भी समर्थन मुसलमानों को नहीं करना चाहिए। यदी साम्प्रदायिक तत्व मुसलमान को शिकार बनाते है तो जितना हो सके अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और सभी मुसलमानों को सलाह दें कि, वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें क्योंकि सत्ता को प्राप्त करने के लिए लोग माहौल को खराब करते है। साम्प्रदायिक शक्तियों द्वारा नफरत के नारे देना देश की मुखालफत है।
मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग शिक्षण संस्थान
मदनी ने आगे कहा कि मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जाए, जिनमें नर्सरी से मिडिल और हाईस्कूल तक इस्लामी माहौल में शिक्षा दी जाए और ऐसी शिक्षा को जमीयत से जुड़े उलेमा विशेष रुप से ध्यान दें और अपनी देखरेख में ही आधुनिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापनी कराएं।
उन्होंने आगे कहा कि, देश की वर्तमान स्थिति में विशेष रुप से मुस्लिम लड़कियों के लिए आठवी कक्षा के बाद अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाए, ताकि लड़कियां बुरे प्रभाव से सुरक्षित रह सके क्योंकि लड़कियों को धर्मतरण का शिकार बनाया जा रहा है। उनकी धर्मतरण कराया जा रहा है। इसको रोकना इस समय की आवश्यकता है और इस घिनौनी हरकत की वजह से खानदान बर्बाद हो रहे है। इसीलिए हर मुस्लिम आबादी में इस प्रकार के संस्थान की स्थापिक करना बहुत जरूरी है ताकि दीन ईमान से धर्म की रक्षा हो सके।