जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन विवादों के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि वह ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री चुने जाने तक PM पद पर बने रहेंगे। उनके इस्तीफा देने के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक का नाम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे आगे चल रहा है।
ऋषि सुनक का नाम क्यों है सबसे आगे
दरअसल, ऋषि सुनक को ब्रिटेन में कोविड-19 के दौरान दिए गए राहत पैकेज की वजह से उन्हें जनता का समर्थन मिला है। उसे देखते हुए सुनक के अंदर सर्वेक्षण को पलटने की क्षमता है और अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते हैं तो ऐसा पहली बार होगा कि कोई एशियाई और भारतीय मूल का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा। सुनक के अलावा रेस में प्रीति पटेल, साजिद जावेद,नदीम जहावी भी रेस में शामिल हैं।
कौन है ऋषि सुनक?
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई, 1980 को हुआ था। ऋषि सुनक ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र, दर्शन और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है। उन्होंने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री भी ली है। ऋषि सुनक की उम्र 42 वर्ष है। वह फरवरी 2020 में बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में पहली बार ब्रिटेन राजकोष के कुलपति नियुक्त किए गए थे। वह 2015 में पहली बार सांसद बने थे। ब्रिटेन में उनकी लोकप्रियता तब बढ़ी। जब उन्होंने कोविड महामारी के दौरान कई व्यवसाईयों और श्रमिकों को दसियों पाउंड की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी।
किन विवादों के चलते बोरिस जॉनसन ने PM पद से दिया, इस्तीफा
2020 के मई माह में ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े थे। पूरे देश में लॉकडाउन था। लोग घरों में बंद थे। उसी उस समय बोरिस जॉनसन अपने कुछ मित्रों के साथ प्रधानमंत्री आवास में शराब पार्टी करते नजर आए थे। इस पार्टी में करीब 100 लोग मौजूद थे। बोरिस जॉनसन इसमें पत्नी कैरी के साथ शामिल हुए थे। इसमें कोरोना से जुड़े नियम-कायदों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं थीं। इस संबंध में बीती 12 जनवरी को बोरिस जॉनसन ने स्वीकार भी किया कि उन्होंने पार्टी की थी। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि यह निजी नहीं आधिकारिक पार्टी थी। लेकिन जॉनसन के कबूलनामे के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री जोनाथन टैम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इससे जॉनसन पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है।
ब्रिटेन में कैसे चुना जाएगा प्रधानमंत्री
जॉनसन ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है पर ब्रिटेन में प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए चुनाव नहीं होंगे। ऐसा इसिलए हैं कि निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में कंजरवेटिव पार्टी के पास पहले से ही बहुमत है। 650 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत के लिए 326 सदस्यों की जरूरत है। जबकि कंजरवेटिव पार्टी के पास 358 सांसद है। वहीं मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी के पास 200 सदस्य हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर ही प्रधानमंत्री चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके तहत जो सांसद प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी करना चाहते हैं, उन्हें अपनी दावेदारी पेश करनी होगी। हालांकि, कोई भी नेता 2 सांसदों के समर्थन से दावेदारी पेश कर सकता है। कुल दावेदारों के आने के बाद राउंड के आधार पर पार्टी सांसद गुप्ट मतदान करते हैं। कम वोट पाने वाले उम्मीदवार हटते जाते हैं। जब अंतिम चरण में केवल 2 उम्मीदवार बचते हैं तो उनके लिए पार्टी के सांसद और अन्य सदस्य वोटिंग करते हैं। जो कि पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डालते हैं और उसमें जीतने वाला उम्मीदवार प्रधानमंत्री पद के लिए चुना जाएगा।