Ganesh Chaturthi 2023: देशभर में गणपति महोत्सव शुरू हो चुकी है। हर जगह गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लग रहे हैं। ऐसे में शुभ मुहूर्त के अनुसार, लोग बप्पा का विसर्जन भी करते हैं। कुछ लोग 10 दिन तो कुछ 4 या 5 दिन में बप्पा का विसर्जन करते हैं। बता दें कि गणेश चतुर्थी 19 सितंबर मंगलवार को शुरु हो चुकी है। आज इसका दूसरा दिन है। साथ ही जब बप्पा घर से विदा लेते हैं। यह पल सभी भक्त जनों के लिए काफी भावुक होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं? बप्पा की मूर्ति जल में ही क्यों विसर्जित की जाती है? जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
बप्पा को क्यों किया जाता है जल में प्रवाहित?
गणेश विसर्जन के पीछे पौराणिक कथा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्नान किया था। उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया परन्तु उन्होंने एक शर्त रखी ‘कि मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं,यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा’। तब वेदव्यासजी ने कहा कि भगवन आप देवताओं में अग्रणी हैं,विद्या और बुद्धि के दाता हैं और मैं एक साधारण ऋषि हूं। यदि किसी श्लोक में मुझसे त्रुटि हो जाय तो आप उस श्लोक को ठीक कर उसे लिपिबद्ध करें।
गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी,लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा।
10 दिनों तक चला महाभारत का लेखन कार्य
महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है,तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। इसलिए गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को स्थापित किया जाता है और 10 दिन मन,वचन कर्म और भक्ति भाव से उनकी उपासना करके अनंत चतुर्दशी को विसर्जित कर दिया जाता है।