नई दिल्ली: Tokyo Olympics: ओलंपिक के इतिहास में भारत ने अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन टोक्यो में किया है। भारत ने ‘खेलों के महाकुंभ’ का अंत गोल्ड मेडल जीतकर किया। जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक पर कब्जा करके आने वाले ओलंपिक में भारत के लिए नई उम्मीदें जगा दी हैं। नीरज के इस एतिहासिक प्रदर्शन से उन खिलाड़ियों को हौसला मिलेगा, जो ये सोचते थे कि एथलेटिक्स में भारत पदक नहीं जीत सकता।
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Tokyo Olympics : भविष्य में यह संख्या और बढ़ेगी
धनलक्ष्मी, जिन्हें विकल्प के रूप में रखा गया था, उन्होंने कहा तमिलनाडु को खेलों में अच्छा प्रतिनिधित्व मिलना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा, पहले के ओलंपिक में तमिलनाडु के ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा नहीं लिया, लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव आया और मुझे विश्वास है कि भविष्य में यह संख्या और बढ़ेगी।
(Tokyo Olympics) बहन की मौत की जानकारी
धनलक्ष्मी को तमिलनाडु से एथलेटिक्स में एक उभरता हुआ चेहरा माना जाता है। ऐसे में उनकी मां ऊषा और परिवार के अन्य सदस्यों को ओलंपिक में भाग लेने और खेलने का महत्व पता था, इसलिए उन्होंने बहन की मौत की जानकारी धनलक्ष्मी को नहीं दी।
धनलक्ष्मी को संभालने की कोशिश
जब बताया गया कि उनकी बहन की मौत हो गई, तो वे फूट फूट कर रोने लगीं। वे घुटने टेककर नीचे बैठ गईं। किसी तरह से उनके रिश्तेदारों ने धनलक्ष्मी को संभालने की कोशिश की।
भारत ने 7 मेडल अपने नाम किए
ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल अपने नाम किए, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो पोडियम फिनिश तो नहीं कर पाए, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने ये बता दिया है कि आने वाला आने वाला समय उन्हीं का है। टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा, मीराबाई चून, रवि कुमार दहिया, पीवी सिंधु, लवलीना बोरगोहेन, बजरंग पुनिया और पुरुष हॉकी टीम ने मेडल जीता। ये खिलाड़ी 3 साल बाद जब पेरिस ओलंपिक में उतरेंगे तो मेडल के दावेदार तो होंगे।