नई दिल्ली- आगामी बजट पर सभी की निगाहें है और दूसरे कार्यकाल में अपना पहले बजट पेश करने जा रही मोदी सरकार से किसानों की उम्मीदें भी दोगुनी है। बजट से पहले ग्रेटर नोएड़ा किसान समिती ने वित्त मंत्री निर्मला सितारमण के सामने कुछ मांगें रखी हैं।
सरकार से किसान को उम्मीद
जिस देश में 55 फीसदी से ज्यादा खेती मानसून के भरोसे होती है। उस देश का किसान आसमान ही नहीं, सरकार की तरफ भी बड़ी उम्मीद से देखता है। चार दिन बाद सरकार आम बजट पेश करने वाली है, किसानों की उम्मीदें मोदी सरकार से काफी बढ़ गई है। इस बार अभी तक मानसून की बारिश औसत से काफी कम रही है और ऐसे में मोदी सरकार से किसान कृषी क्षेत्र के लिए ठोस कदम उठाने की अपेक्षा कर रहा है। वैसे तो कृषि के लिए पिछले पांच साल में कई वादे किये जा चुके हैं, इस बार मसला सिर्फ किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देना या फिर अगले तीन साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करना भर नहीं है।
मोदी सरकार के सामने रखी मांग
मोदी सरकार ने 50 से 100 गांव का क्लस्टर बनाकर वहां एग्रो-प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के साथ साथ किसानों के कर्ज माफ करने जैसे कई समस्याओं पर गंभीरता से कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश के करोड़ों किसानों के लिए घाटे का सौदा बन रही खेती को मुनाफे का सौदा कैसे बनाया जाए? ग्रेटर नोएडा की किसान संघर्ष समिति ने मोदी सरकार के पूर्ण बजट से पहले कुछ मांगें सरकार के सामने रखी हैं, किसान समिति ने 4 प्रमुख बातें उठाई है, जिसपर सरकार को ध्यान देने की ज़रुरत है।
1. कृषि उपकरणों की खरीद पर मिले सब्सिडी
पहली मांग जो किसान समिति ने मोदी सरकार के सामने रखी है, उसमें किसानों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की है कि कृषि से जुड़े जरूरी उपकरणों की खरीद पर किसानों को ब्याज में सब्सिडी देने की व्यवस्था की जाए। अगर ट्रैक्टर और सिंचाई पंप जैसे उपकरणों को टैक्स मुक्त किया जाता है, तो इससे किसानों को बड़ी मदद मिलेगी। टैक्स का बोझ कम होने से इन उपकरणों की कीमत में कमी आएगी और साथ ही किसानों को कृषि उपकरण खरीदने के लिए ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाना चाहिए। इससे किसानों में कृषि उपकरण खरीद बढ़ेगी और उपज में बढ़ोतरी होगी।
2. सप्लाय चेन में अवैध ट्रेड पर भारी दंड
कृषि उपज आने के साथ ही सप्लाय चेन में दलाल सक्रिय हो जाते हैं। इसकी वजह से किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है। बिचौलिए किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और किसान से उनकी फसल औने-पौने दाम पर खरीदते हैं। किसान संघर्ष समिति ने अपनी दुसरी मांग जो सरकार के सामने रखी है वो ये है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर कृषि उपज खरीदना दंडनीय अपराध बनाए। इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी और किसानों के हितों की रक्षा सुनिश्चित होगी।
3. डेयरी उत्पादों के भाव पर नियंत्रण ज़रुरी
भारत जैसे देश में ज्यादातर किसान पशुपालन में भी सक्रिय हैं। पशुओं के चारे के भाव में लगातार इज़ाफा हो रहा है, जबकि उनके उपज के भाव में मामूली बढ़त होती है। बजट 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पशु चारे के भाव पर नियंत्रण करने की पहल करनी चाहिए। इसके साथ ही पशुपालकों के उपज के लिए बाजार भाव आधारित सिस्टम पर जोर देना की मांग भी किसान समिति ने उठाई है।
4. जल संरक्षण पर ध्यान दे सरकार
इन सब समस्यओं के अलावा एक समस्या जो देश में बढ़ती जा रही है, वो है देश में भूजल का गिरता स्तर। सरकार को व्यापक स्तर पर जल संरक्षण की पहल करनी चाहिए। किसान संघर्ष समिति की वित्त मंत्री से मांग है कि जल संरक्षण से जुडी गतिविधियों को मनरेगा के तहत लाकर इसका प्रभावी हल निकाला जाए। जल संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट को मनरेगा से जोड़ने से महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
बताते चलें कि किसानों और देश की जनता की निगाहें आगामी बजट पर है। ऐसे में देखने ये होगा कि इस बजट में मोदी सरकार के पिटारे में किस वर्ग के लिए कितने तौहफे है।