लखनऊ- देश के सबसे बड़ प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ बीजेपी अपना जीत का क्रम जारी रखना चाहती है। इसी कड़ी में बीजेपी ने प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए एक बड़ी रणनीति तैयार की है। इसके तहत बीजेपी ने अपने ही नेताओं को बड़ा झटका दिया है। बीजेपी ने यूपी में उपचुनाव वाली सीटों पर विधायक से सांसद बने नेताओं के बेटे-बेटियों या रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। जीत के लिए रणनीति बनाते हुए बीजेपी ने तय किया है कि उपचुनाव में पुराने और जिताऊ चेहरों को मैदान में उतारी जाएगा।
उपचुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति
बता दें कि गुरुवार रात सीएम आवास पर पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक में प्रदेश में होनेवाले उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ कि जो विधायक, सांसद बन चुके हैं उनके घर के सदस्यों को टिकट नहीं दिया जाए। दूसरे किसी सांसद या विधायक के रिश्तेदार भी टिकट मांग रहे हैं, तो उनके नामों पर भी विचार नहीं होगा। सभी सीटों पर बीजेपी के पुराने और जिताऊ चेहरों पर दांव लगाया जाएगा।
उपचुनाव को लेकर सतर्क बीजेपी
उत्तर प्रदेश में 12 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें 8 सीटें बीजेपी विधायकों के इस्तीफे, एक सीट अपना दल, एक-एक सीट SP-BSP विधायक के इस्तीफे और एक सीट हमीरपुर से बीजेपी विधायक अशोक चंदेल को उम्रकैद होने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने से खाली हुई है। बीजेपी उपचुनाव वाली हर एक सीट को लेकर बेहद सतर्क है और वो किसी भी सीट को हाथ से जाने देना नहीं चाहती है। इसलिए उपचुनावों वाली सभी सीटों पहले ही सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री और पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी को तैनात कर दिया है। इनकी देखरेख में चुनावी तैयारियां चलेंगी।
विपक्ष पर भारी मोदी ब्रांड
बताते चलें कि 2014, 2017 और अब 2019 में हुए चुनावों में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। बीजेपी को रोकने के लिए विपक्षी पार्टी हर तरह के हथकंडे अपना चुकी है, चाहे 2017 में सपा और कांग्रेस का गठबंधन या 2019 में सूबे की दो पार्टीयों सपा और बसपा का साथ आना हो या फिर कांग्रेस का प्रियंका गांधी को औपचारिक रुप से पार्टी में शामिल करना हो। इन सब पर शाह और मोदी की जोड़ी भारी पड़ी है। जनता ने चुनाव में बीजेपी को दिल खोलकर वोट दिया है। हालांकि, 2014 लोकसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में उस समय सूबे की सत्ता पर काबिज समाजवादी ने बीजेपी से ज्यादा सीटें हासिल की थी।