नई दिल्ली: Afghanistan Crisis: अफ़ग़ान जमीं पर तालिबान क्रूरता बढ़ती जा रही है। जिसके चलते अफ़ग़ानिस्तान की हालत बाद से बदतर होते नज़र आ रहे हैं। तालिबान शासन के साथ ही अफ़ग़ानिस्तान की तस्वीर पूरी बदल गयी है। वहीं भारत ने सिर्फ अपने लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने के आलावा कोई भी फैसला या जल्दबाज़ी नहीं की है।
तालिबान मामले में कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं
दरअसल, अफगानिस्तान में स्थित आतंकी संगठन तालिबान के मामले में कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता। खासकर भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह फैसला बहुत आसान भी नहीं है। अफगानिस्तान मामले में हाल के दिनों में जो भी तस्वीरें सामने आई है, वही पूरा सच नहीं है। कई ऐसे अनछुए पहलू हैं, जिनका सामने आना बाकी है। तालिबान सरकार भले ही बनने के करीब हो, लेकिन इससे यह पुष्ट नहीं होता कि अफगानिस्तान में सबकुछ सामान्य चल रहा है।
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Afghanistan Crisis: तालिबान का पूरा सच सामने नहीं
बता दें, अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलते ही तालिबान ने वहां की सरजमीं पर दबदबा कायम करने में काफी तेजी दिखाई है । इससे यह जरूर साबित होता है कि पर्दे के पीछे बहुत सारी चीजें हैं, जिन्हें हमें समझने की जरूरत है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता बढ़ाने की पहल की है। तीन अरब डालर खर्च कर अफगानिस्तान में डैम, सड़क, अस्पताल, संसद भवन आदि भी बनवाए हैं। ये सभी ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो अफगान के लोगों को लंबे समय तक मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि तालिबान इसे अनदेखा करता है या फिर चलने देता है। अफगानिस्तान में भारत का निवेश बढ़ाने का कैसा फैसला था, यह भी भविष्य में ही पता चलेगा।
पाकिस्तान की अफ़ग़ानिस्तान से भारत के रिश्ते तोड़ने की कोशिश
हालांकि, कतर में तालिबान ने कुछ भारतीय राजदूत से मुलाकात की थी। जहां भारत ने अफगानिस्तान में भारत की ओर से लगाए गए प्रोजेक्ट को नुकसान न पहुंचाने व वहां फंसे भारतीयों को निकालने की दिशा में बातचीत की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की बात को तालिबान के शीर्ष नेताओं तक पहुंचाने भर का आश्वासन दिया गया है। अफगानिस्तान हमारे लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। इसलिए यह बहुत संजीदा मसला है। भारत में आंतकवाद को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान हमेशा से तैयार बैठा है और विभिन्न मंचों से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की बात उठा रहा है। जाहिर है पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आएगा। पाकिस्तान कोशिश कर रहा है कि अफगानिस्तान के साथ भारत के दोस्ताना संबंध कमजोर पड़ें।
भारत को रखनी होगी बाकि देशों पर नजर
अफगानिस्तान की नई सरकार के मसले पर उसके पड़ोसी देश ईरान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान व तुर्कमेनिस्तान का क्या रवैया है यह भी देखना होगा। वह तालिबान सरकार को मान्यता देते हैं या नहीं यह बड़ा सवाल है। भारत को इस पर भी नजर रखनी होगी, क्योंकि तालिबान पूरी तरह से देश पर अपना नियंत्रण नहीं कर पाया है। पंजशीर इलाके में कुछ अलग तरह के गुट हैं जो तालिबान को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। आगे हालात क्या होते हैं यह ध्यान में रखना होगा। जो भी हो, हमारा नजरिया भारत के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाला ही होगा।