नई दिल्ली: Jagannath Rath Yatra 2021: कोरोना वायरस महामारी की मार के बीच आज ओडिशा और गुजरात में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है। जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार जगन्नाथ पूरी की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू की जाती है। इस दौरान मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने भगवान जगन्नाथ के रथ के सामने सोने की झाड़ू से सफाई की और अहमदाबाद के जिस रूट से यात्रा निकल रही है वहां पर कर्फ्यू लगा दिया गया है।
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Jagannath Rath Yatra 2021: हिंदू धर्म में चारों धामों का महत्व
हिंदू धर्म में चारों धामों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हीं चारों धामों में से एक जगन्नाथ धाम है। जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र 4 धामों में से एक है। यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। जगन्नाथ पुरी के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति और अगल बगल बड़े भाई बलभद्र/बलराम और बहन सुभद्रा की मूर्ति है।
पीएम मोदी ने बधाई दी
जगन्नाथ रथयात्रा को लेकर पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘रथ यात्रा के विशेष अवसर पर सभी को बधाई। हम भगवान जगन्नाथ को नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनका आशीर्वाद सभी के जीवन में अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि लाए। जय जगन्नाथ!’
रथ यात्रा का पूरा रूट
अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा का पूरा रूट करीब 13 किमी. का है। आम तौर पर इस यात्रा को पूरा होने में 10 घंटे का वक्त लगता है लेकिन कोविड काल में क्योंकि श्रद्धालु नहीं हैं, ऐसे में इसे 4-5 घंटे में ये यात्रा पूरी हो सकती है। इस यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ चलता है जिसे तालध्वज कहा जाता है। मध्य में सुभद्रा का रथ चलता है जिसे दर्पदलन या पद्म रथ कहा जाता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है जिसे नंदी घोष कहा जाता है।
अमित शाह परिवार के साथ हिस्सा लेने पहुंचे
अमित शाह ने सोमवार तड़के मंगला आरती में हिस्सा लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मौके पर ट्वीट किया कि जगन्नाथ रथयात्रा के शुभ अवसर पर मैं अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर में कई वर्षों से मंगला आरती में भाग लेता आ रहा हूं और हर बार यहां एक अलग ऊर्जा की प्राप्ति होती है। आज भी महाप्रभु की आराधना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाप्रभु जगन्नाथ सभी पर सदैव अपनी कृपा व आशीष बनायें रखें।
यात्रा में कौन शामिल हो सकता है
जगन्नाथ रथ यात्रा निकलते ही भक्तों का तांता लग जाता था। लेकिन इस कोरोना की वजह से भक्तों को इस यात्रा में शामिल होने का अवसर नहीं मिल पाएगा। कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के बीच महज 500 सेवकों को इस दौरान रथ खींचने की अनुमति होगी। केवल चयनित कोविड निगेटिव और टीके की दोनों खुराकें ले चुके सेवकों को ही ‘स्नान पूर्णिमा और अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की अनुमति होगी।