Kamal Nath Government ने बढ़ाया OBC Resrvation का दायरा
नई दिल्ली : पदोन्निति में आरक्षण (Promotion in Reservation) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा दिए गए बयान को लेकर जहाँ सियासी सरगर्मी चरम पर है और इस मामले को लेकर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है, वही मध्य-प्रदेश (Madhya-Pradesh) की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने बड़ा फैसला लेते हुए ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी कर दिया है। हालाँकि जबलपुर हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court Jabalpur) ने सरकार द्वारा पारित इस संशोधन को लागु करने से मना कर दिया है। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन (Gazette Notifications) जारी करे।
Kamal Nath Government के संशोधन को HIGH COURT ने क्यों नकारा ?
सरकार द्वारा पारित इस संशोधन को लागु करने से मना करने के पीछे हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के उस आदेश को वजह बताया है, जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण को लेकर जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश जिला न्यायालय स्थापना (भर्ती एवं सेवा शर्त) नियम 2016 के तहत एससी को 16 फीसदी, एसटी को 20 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण देना मंजूर किया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के मद्देनज़र आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान भी लागु नहीं होगा।
आरक्षण को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स ?
दरअसल देश में जातिगत आरक्षण (Caste Reservation) को लेकर समय-समय पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिलता रहता है और आरक्षण से वंचित लोग सरकार और राजनीतिक पार्टियों पर इस तरह के आरोप लगाते रहते हैं कि वोट बैंक के लिए सरकार आरक्षण को ख़त्म नहीं करती, जिससे प्रतिभाओं को सही मुकाम हासिल नहीं हो पाता। वहीँ आरक्षण के समर्थन में कहा जाता है कि देश में अभी भी कई ऐसे समुदाय है, जिसे आगे बढ़ने के लिए आरक्षण की जरुरत है। वहीँ आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइड लाइन्स के मुताबिक किसी भी हाल में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। समय-समय पर सरकार इसी में बदलाव करती रहती है।