- 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर में मार्च निकाला गया
- फैकल्टी द्वारा की गई शिकायत
- नज़्म को बताया गया हिंदू विरोधी
Faiz Ahmad Faiz : ‘हम देखेंगे’ ये नज़्म देश विरोधी है या नहीं
नई दिल्ली– CAA के खिलाफ लगातार देश में विरोध किया जा रहा है। वहीं पिछले महीने दिसंबर में जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में काफी बवाल हुआ। नागरिकता कानून को लेकर विपक्षयों ने भी लगातार मोदी सरकार के ऊपर हल्ला बोला। वहीं बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर में मार्च निकाला गया था। इस मार्च में ‘हम देखेंगे’ नज़्म गाई गई थी। वहीं इस नज़्म को एक फैकल्टी द्वारा हिंदू विरोधी बताया गया। जिसे लेकर जांच समिती का गठन किया गया है।
इसकी कुछ पंक्तियां हैं- .. जब अर्ज़-ए- ख़ुदा के काबे से सब बुत उठवाये जाएंगे, हम अहल-ए-सफा-मरदूद-ए-हरम, मसनद पे बिठाए जाएंगे, सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख़्त गिराए जाएंगे… नज़्म में एक पंक्ति कहती है… ‘बस नाम रहेगा अल्लाह का… जो गायब भी है हाज़िर भी
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की एक क्रांतिकारी शायर थे
- जनरल ज़िया उल हक़ की तानाशाही थी जोरो पर
- गायिका इक़बाल बानो द्वारा गाई गई थी नज़्म
ये नज़्म मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की है। मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmad Faiz) एक क्रांतिकारी शायर थे। ये नज़्म 1979 में तानाशाह जनरल ज़िया उल हक़ के खिलाफ लिखी गई थी। लेकिन ये नज़्म ‘हम देखेंगे’ गायिका इक़बाल बानो द्वारा मशहूर की गई थी। बता दें कि साल 1985 में पाकिस्तान में जनरल ज़िया उल हक़ की तानाशाही जोरो पर थी।
जहां इस्लामी तहज़ीब के चलते साड़ी पहनना नापसंद किया जाता था। वहीं इसके चलते गायिका इक़बाल बानो ने एक बार लाहौर के अलहमरा ऑडिटोरियम में सिल्क साड़ी पहन कर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी ‘हम देखेंगे’ गाई थी। यहां तक की दर्शकों ने इस शायरी को बार बार गाया। जिसके बाद ये शायरी काफी मशहूर हो गई। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी को टीवी और रेडियो जैसे माध्यमों पर जगह नहीं दी जाती थी।
- समिती करेगी नज़्म की जांच
- नज़्म हिंदू विरोधी है या नहीं की होगी जांच
- मार्च में छात्रों की प्रक्रिया पर भी होगी जांच
वहीं बता दे 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर में एक मार्च निकाला गया था जिस दौरान ये नज़्म गाई गई थी। । वहीं एक फैकल्टी ने शिकायत करते हुए इस नज़्म को हिंदू विरोधी बताया। जिसके लिए आईआईटी कानपुर में एक समिती का गठन किया गया है। जो कि ये जांच करेगी की ये नज़्म हिंदू विरोधी है या नहीं। इसी के साथ छात्रों द्वारा किए गए मार्च के दौरान की गई प्रक्रिया पर भी समिती जांच करेगी। बता दें कि इससे पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शनों में ‘हम देखेंगे’नज़्म गाई गई है।