रश्मि सिंह|Gyanvapi Case Verdict: ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा को जारी रखने का आदेश दिया है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने इस फैसले को लिया है। मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के पूजा शुरु कराए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
#WATCH ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दी है, इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी… अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे।” pic.twitter.com/ijyhyP5R4O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 26, 2024
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूजा करने की दी अनुमति
जानकारी के लिए बता दें कि, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा करने का अनुमति दे दी है। अदालत न वाराणसी जिला जज के 31 जनवरी के पूजा शुरु कराए जाने के आदेश को सही ठहराया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी। कोर्ट ने पूजा पर रोक नहीं लगाई। हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने की वजह से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने 15 फरवरी को दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। पांच कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई के बाद अदालत ने जजमेंट रिजर्व कर लिया था। हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन व विष्णु शंकर जैन से बहस की थी।
पूजा पर रोक चाहता था मुस्लिम पक्ष
जानकारी के लिए बता दें कि, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष काफी नाखुश है। क्योंकि मुस्लिम पक्ष पूजा पर स्टे चाहता था। हाईकोर्ट ने फैसले देने से पहले हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दलील सुनने के बाद पहले ही फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा पर स्टे लगाने की बात कही गई थी।
मुस्लिम पक्ष ने अदालत से की यह मांग
बता दें कि, मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को इसलिए लेकर गई क्योंकि वो पूजा को रोकना चाहती थी। मुस्लिम पक्ष का दावा था कि डीएम को वाराणसी कोर्ट ने रिसीवर नियुक्त किया गया है जो पहले से ही काशी विश्वनाथ मंदिर के सदस्य है। इसलिए मुस्लिम पक्ष उनको नियुक्त नहीं करने के लिए हाईकोर्ट गई थी। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि दस्तावेज में किसी तहखाने का जिक्र नहीं है। उनका कहना था व्यस जी ने पहले ही पूजा का अधिकार ट्रल्ट को ट्रांसफर कर दिया था, उन्हें अर्जी दाखिल करने का अधिकार नहीं है। लेकिन मुस्लिम पक्ष के इन दलिलों को सुनने के बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूजा करने की अनुमति दी है।