रश्मि सिंह|Swami Prasad Maurya Resign: सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजावादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। वो अपने बयानों को लेकर पिछले काफी समय से विवादों में चल रहे है। बता दें कि, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है पार्टी से अभीभी जुड़े रहेंगे। स्वामी प्रसाद यादव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपने इस्तीफे के कारणों को बताएं है। स्वामी प्रसाद यादव ने कहा कि वह पद पर रहे बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए तत्पर रहेंगे।
#BreakingNews | समाजवादी पार्टी महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने महासचिव के पद से दिया इस्तीफा .
➡️सपा द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को निजी बयान बताने पर हैं नाराज़
➡️ पार्टी में महासचिव में भी भेदभाव है
➡️ महासचिव के पद से त्यागपत्र, लेकिन पद के बिना भी पार्टी को सशक्त… pic.twitter.com/EcdxjeR0Sj
— Jantantra Tv (@JantantraTv) February 13, 2024
स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों दिया इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे के कई बड़े वजह बताई है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा- “हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मेरे निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव हूँ, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है। उन्होंने आगे कहा, दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो का रुझान समाजवादी पार्टी के तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे ?दि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो में समझता हूँ ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से में त्यागपत्र दे रहा हूँ, कृपया इसे स्वीकार करें।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्र में क्या लिखा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पर अभी भी वो समाजवादी पार्टी से जुड़े रहेंगे। इस मामले में उन्होंने सपा के अध्यक्ष को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है, वह पद पर रहे बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए तत्पर रहेंगे। जब से मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है। हमारे महापुरुषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी। भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर ने “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की बात की, तो डॉ. रा म मनोहर लोहिया ने कहा कि, सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सो में साठ,” शहीद जगदेव कुशवाहा और रामस्वरुप वर्मा ने कहा था सौ में नब्बे शोषित है, नब्बे भाग हमारा है। इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही 85 बनाम 15 का नारा था। मगर पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने औ र साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ों प्रत्याशियों का पर्चा और सिंबल दाखिल होने के बात अचानक प्रत्याशियों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे। इसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे। वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी। इसके बाद बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया। इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।