नई दिल्ली : Yogi Adityanath – योगी आदित्यनाथ सरकार को बदमान करने की एक बड़ी साजिश तब नाकाम साबित हो गई जब दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) के थाना लोनी बॉर्डर क्षेत्र में एक मुस्लिम बुजुर्ग पर हमला कर उन्हें पीटा गया है। साध ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी ड़ाला गया , जिससे विडियो जमकर वायरल हुआ है।
पीड़ित सूफी अब्दुल समद ने आरोप लगया कि उसे मुस्लिम होने की वजह से पीटा गया, दाढ़ी काटी गई, और जय श्री राम (Jai Shri Ram) न बोलने पर उसे मारा भी गया। पीड़ित के वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला सोशल मीडिया पर खूब छाया रहा, वहीं मामले की तफ्तीश करनें पर पुलिस को मामलें में कुछ और ही मिला।
गाजियाबाद पुलिस ने की मामले की तफ्तीश
वहीं जब गाजियाबाद पुलिस से इस मामले के बारे में पता किया गया तो उन्होनें बताया कि अब्दुल एक मौलवी है और ताबीज बनाने का काम करता है। इस कारण कई लोग उसके पास ताबीज बनवाने के लिए आते थे। किसी व्यक्ति को अब्दुल ने ताबीज बना कर दिया था इसके बाद उसकी गर्भवती पत्नी का बच्चा मिसकैरेज हो गया।
साथ ही पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई कि पत्नी के मिसकैरेज हो जाने के कारण ही बुजुर्ग की पिटाई की गई है। न तो मौलवी से जय श्री राम बोलने के लिए कहा गया और न ही उसके साथ मुस्लिम होने की वजह से मारपीट की गई। मामला नकली ताबीज बनाकर ठगी के विवाद का था, जिसे सांप्रदायिक रंग दिया गया। इतना ही नहीं आरोपी और पीड़ित पक्ष दोनों एक ही धर्म के हैं।
योगी सरकार को बदनाम करने की थी बड़ी साजिश
वहीं मामले की तफ्ताश करते हुए पुलिस नें आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही सख्त पूछताछ के बाद उसने पुलिस को बताया कि अब्दुल समद की बनाई ताबीज के कारण ही उसका बच्चा मिसकैरेज हुआ है। इसी संबंध में पुलिस अधिकारी अतुल कुमार सोनकर ने आधिकारिक तौर पर बयान दिया है कि यह एक अंधविश्वास का मामला है।
जिससे आरोपी ने अंधविश्वास में आकर बाबा से ताबीज लिया और फिर मिसकैरेज होने के बाद ताबीज को ही मिसकैरेज का कारण समझा। उन्होंने कहा कि सभी आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस ने फिलहाल कल्लू और आदिल को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं पोली, आरिफ व मुशाहिद फरार है।
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अंधविश्वास का मामला
कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकलता है कि मामला अंधविश्वास फैलाकर ठगी का था, जिसके शिकार हुए लोगों ने मौलवी पर अपना गुस्सा निकाला। वहीं कुछ सियासी और मजहबी सोच के लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। सीधा-सीधा समझ आता है कि एक फर्जी कहानी गढ़कर योगी सरकार को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश थी, जो कि नाकाम हो गई।