बरेली में “I Love Muhammad” नारे को लेकर दो गुट आमने-सामने आ गए। एक तरफ़ वह लोग थे जो इसे अपनी धार्मिक आस्था और सम्मान का प्रतीक मान रहे थे, जबकि दूसरी तरफ़ कुछ गुट इसे उकसावे या दिखावे की राजनीति से जोड़ रहे थे। नारेबाज़ी के दौरान माहौल गर्म हो गया और कहासुनी से बात हाथापाई और फिर झगड़े तक पहुँच गई। देखते ही देखते भीड़ इकट्ठा हो गई और हालात ने तनाव का रूप ले लिया। दुकानों और रास्तों पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। आई लव मोहम्मद को लेकर बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों को बेहद कड़ी चेतावनी दी है। कानपुर, उन्नाव, मुरादाबाद, बरेली, मऊ और अन्य जिलों में मुस्लिम समुदाय के उग्र प्रदर्शन व भड़काऊ नारेबाजी की घटनाओं पर नाराजगी जताते हुए पुलिस अधिकारियों को निर्णायक कार्रवाई का निर्देश दिया है। कहा, एक भी उपद्रवी बचना नहीं चाहिए। दशहरा बुराई व आतंक के दहन का पर्व है। कार्रवाई के लिए किसी और समय की प्रतीक्षा न करें। कार्रवाई का यही समय है, सही समय है। शासन के स्पष्ट आदेशों का फील्ड पर पूरी तरह से पालन कराया जाए
तनाव कैसे बढ़ा?
मामला केवल नारे तक सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया पर वीडियो और मैसेज फैलने लगे, जिससे लोगों में ग़लतफ़हमियाँ बढ़ीं। छोटे-छोटे टकराव बड़े झगड़ों में बदल गए। कुछ जगह पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएँ भी हुईं, जिससे इलाके में पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने साफ़ संदेश दिया कि किसी भी तरह की दंगा-संस्कृति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस और प्रशासन को तुरंत सख़्ती बरतने, उपद्रवियों की पहचान करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को यह भी कहा कि आम नागरिक और व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि माहौल सामान्य हो सके।
पुलिस ने तनाव वाले इलाकों में गश्त तेज़ कर दी। कुछ उपद्रवी लोगों को हिरासत में लिया गया। कई जगह सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए ताकि यह पता लगाया जा सके कि झगड़े की शुरुआत किसने की। प्रशासन ने इलाके में शांति समितियों की बैठक भी बुलाई, ताकि दोनों समुदायों को आपसी संवाद से जोड़ा जा सके और माहौल शांत कराया जा सके।
प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस ने तनाव वाले इलाकों में गश्त तेज़ कर दी। कुछ उपद्रवी लोगों को हिरासत में लिया गया। कई जगह सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए ताकि यह पता लगाया जा सके कि झगड़े की शुरुआत किसने की। प्रशासन ने इलाके में शांति समितियों की बैठक भी बुलाई, ताकि दोनों समुदायों को आपसी संवाद से जोड़ा जा सके और माहौल शांत कराया जा सके।
बरेली का यह मामला दिखाता है कि धार्मिक नारे, चाहे वे आस्था से जुड़े हों, अगर गलत संदर्भ में लिए जाएँ तो माहौल बिगाड़ सकते हैं। योगी सरकार ने यहाँ “ज़ीरो टॉलरेंस” का रुख अपनाया और कानून-व्यवस्था को बहाल करने की कोशिश की।