हरियाणा के प्रति समाज के सामाजिक और मांसिक सोच को उजागर कर रहा है…कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बी आर गवई के ऊपर कोर्ट के अंदर जूता फेंकने से लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में दलित युवक की भीड़ द्वारा की गई हत्या पूरे देश में वर्ग विशेष द्वारा दलितों के प्रति नफरती सोच की ओर इशारा कर रहा है इन घटनाओं ने हजारो साल से चले आ रहे जाती द्वेष और सामाजिक मतभेद की प्रवृत को एक बार फिर उजागर किया है लेकिन एक तरफ जहां इन घटनाओं को लेकर पूरे देश में गुस्सा दिखाई दे रहा है वहीं दूसरी तरफ 9 अक्टूबर को BSP द्वारा आयोजित विशाल रैली में इन घटनाओं के प्रति कोई चिंता नहीं जताई गई.
मायावती ने अपनी रैली में कांग्रेस सपा और उन सभी दलों को कोसती रही जो आज के तारीक में इन घटनाओं के लिए NDA और खासतौर से BJP को जिम्मेदार ठहरा रही है,मायावती ने मंच से यूपी के बीजेपी सरकार को कांशीराम स्मारक के जनोधार किया गया कार्य के लिए आभार व्यक्त किया,उनका कहना था कि कांसीराम सहित बहुजन समाज के महापुरुषों के स्मारक बनाए गए पार्कों के रख रखाव के लिए यूपी की सरकार बधाई की पात्र है,अपने कार्यकर्ताओं को विस्तार से बताते हुए मायावती ने साफ किया कि पार्कों के रख रखाव के लिए उनके द्वारा यूपी सरकार को चिट्ठी लिखी गई थी और राज्य सरकार ने उनकी चिट्ठी पर कार्रवाई करते हुए वर्षों से रोके गए MAINTAINENCE बजट को रिलीज कर दिया…मायावती की विशाल रैली का क्रैडिट बीजेपी और उसकी सरकार को भी दिया जा रहा है.
कांग्रेस पार्टी के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने खुले तौर पर बीजेपी को क्रेडिट दिया,उनका दावा है कि सरकार की तरफ से परिवहन विभाग के सभी अधिकारियों को रैली में भीड़ चुटाने के लिए अनऔपचारिक निर्देश जारी किए गए थे,इसलिए 9 अक्टूबर को आयोजित रैली को बीजेपी BSP रैली कहा जाना चाहिए,सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीएसपी की कामयाब रैली के पीछे बीजेपी बीएसपी की साझा रणनीति बताया,उनके मुताबिक बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंच से यूपी की बीजेपी सरकार को आभार व्यक्त करके इस राजनीतिक गठजोड़ की पुष्टि कर ली है…यूपी के तमाम सेवानिवृत BUEAROCRAT सामाजिक कर्यकर्ता भी मायावती के B टीम की तरह काम करने का आरोप लगाया.
पूरे देश में दलित समाज को हर तरह से अपमानित किया जा रहा है…उनके ऊपर जानलेवा हमला हो रहा है…वहीं दूसरी तरफ बीएसपी सुप्रीमो की चुप्पी बीजेपी के सामने राजनीतिक समर्पण का पटकथा लिख रहा है…बीएसपी पर पिछले कई वर्षों से बीजेपी के साथ मिलकर राजनीति करने के आरोप लगते रहे है…बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है,.महज 1 साल बाद यूपी में भी चुनाव होना है…ऐसी स्थिति में बीएसपी की POLITICAL पैतरे बाजी भाजपा और उसके लिए कितनी फायदेमंद होगी ये तो आने वाला वक्त बताएगा.