नई दिल्ली : ओ साथी रे…तेरे बिना भी क्या जीना। मुकद्दर का सिकंदर फिल्म के इस गीत को वास्तविक जीवन में चरितार्थ कर दिया मछलीशहर कोतवाली के जीरकपुर गांव निवासी एक दंपती ने। पत्नी की जुदाई सह न सके राज बहादुर ने उसकी चिता पर ही गिरकर आखिरी सांस ले ली। घटना गांव-जवार में चर्चा का विषय बन गई है।
रिश्ता बना मिशाल
यूं ही नहीं कहा गया पति-पत्नी का जन्म-जन्मांतर का रिश्ता होता है। गांव निवासी राज बहादुर (65) की पत्नी विद्या देवी (62) का गत मंगलवार को हार्टअटैक से निधन हो गया। जिंदगी के सफर में पत्नी के अचानक यूं साथ छोड़ जाने से राज बहादुर बेसुध से हो गए।
दुनिया की सबसे अनोखी परंपरा, जिंदा लोगों को किया जाता है दफन
रोजी-रोटी के सिलसिले में मुंबई रहने वाले उनके पुत्र राजीव (35) बुधवार की दोपहर वहां से आए तो विद्या देवी का पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए शहर के रामघाट श्मशान ले जाया गया। आग देने के बाद राज बहादुर गुमसुम बैठे चिता निहार रहे थे।
एक साथ निधन से परिवार में कोहराम
आंखों के सामने पत्नी की काया राख में बदल जाने के बाद राज बहादुर परंपरा के अनुसार चिता ठंडी करने के लिए पानी डालने उठे तो अचानक वहीं गिर पड़े और उनकी सांसें थम गईं। स्वजन तुरंत निजी अस्पताल ले गए। डाक्टर ने देखते ही राज बहादुर को मृत घोषित कर दिया। स्वजन पार्थिव शरीर लेकर घर चले आए। गुरुवार की दोपहर रामघाट ले जाकर उसी स्थान पर उनका भी अंतिम संस्कार कर दिया जहां विद्या देवी का किया गया था। मां-बाप के एक साथ निधन से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।