विक्रम बत्रा कोई नाम नहीं है बल्कि हर भारतीय के लिए सम्मान है. जी हाँ विक्रम बत्रा वो शख्स है जिसने भारत की दो महत्वपूर्ण चोटियों को पाकिस्तानी आर्मी से मुक्त कराया था. आज उनकी 24वी पुण्यतिथि है. परमवीर चक्र शहीद विक्रम बतरा को लोग प्यार से शेरशाह बोलते थे क्यूंकि वो ऐसे सैनिक थे जिसके नाम से दुश्मन भी कांपने लगता था.
विक्रम बत्रा 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की. कारगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा काफी घायल हो गए थे इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और घायल हालत में ही उन्होंने शत्रु पर ग्रेनेड फेंक दिए. विक्रम बत्रा द्वारा फेंके हुए ग्रेनेड से दुशमनों का सारा इलाका नष्ट हो गया था. अपने गहरे जख्मों और भारी गोलाबारी की वजह से उन्होंने युद्ध क्षेत्र में अपने प्राण त्याग दिए.
विक्रम बत्रा की इस वीरता पर उन्हें कई सम्मानों से नवाज़ा गया था.
उनकी वीरता के चर्चे जबलपुर में थे इसलिए जबलपुर की छावनी को विक्रम बत्रा एन्क्लेव के नाम से नवाज़ा गया.
पॉइंट 4785 पर विक्रम और उनकी टीम ने कब्ज़ा कर लिया था जिसके बाद इस पहाड़ को बत्रा टॉप के नाम से जाना जाने लगा.
आईएमआई में अपने परिक्षण के दौरान उन्होंने अपनी वीरता दिखाई जिसके चलते एक मेस का नाम विक्रम बत्रा मेस रख दिया गया.
चंडीगढ़ के डी ऐ वी कॉलेज में विक्रम बत्रा और उनकी टीम के साहस क वजह से उनके नाम की एक इमारत भी बनाई गयी है.