नई दिल्ली : कहते हैं कि इतिहास खुद को दुहराता जरुर है. आप भले ही कितनी भी लंबी छलांग क्यों न लगा लें, लेकिन एक समय ऐसा भी आता है, जब आपको उसी सरजमीं पर वापस आना पड़ता है, जहाँ से कभी आपने छलांगें भरी थी. पूर्व केन्द्रीय पी चिदंबरम की गिरफ़्तारी का मामला आपको भले ही, 2-3 महीने पुराना लगता हो, लेकिन हकीकत ये है कि शह और मात का ये खेल 9 साल से भी ज्यादा पुराना है. शह और मात के इस खेल में कई ट्विस्ट और टर्न हैं, साथ ही उत्सुकताओं से भरा चरमोत्कर्ष भी है.
दरअसल ये कहानी 2-3 महीने पुरानी नहीं, बल्कि 9 साल पुराना है. इस कहानी की शुरुआत उस समय हुई, जब मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह राजनीति के ‘शाह’ नहीं थे और पी चिदंबरम उस समय गृहमंत्री थे. गृहमंत्री रहते हुए तब पी चिंदबरम ने अमित शाह के साथ जो कुछ किया, कुछ उसी तरह की परिस्थितियों का सामना आज पी चिंदबरम को करना पड़ रहा है.
दरअसल 9 साल पहले, जब केंद्र में UPA की सरकार थी और मुंबई ब्लास्ट के बाद चिंदबरम को शिवराज पाटिल की जगह गृह मंत्रालय की कमान सौंपी गयी थी, तब सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ के मामले में अमित शाह को आरोपी बनाया गया था. 25 जुलाई 2010 को अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. हालाँकि उस समय अमित शाह ने उसी तरह प्रेस कांफ्रेंस कर खुद को निर्दोष बताया था, जिस तरह पी चिंदबरम ने 21 अगस्त की रात को मीडिया के सामने आकर खुद को निर्दोष बताया था. चिदंबरम की तरह तब अमित शाह भी चार दिनों तक लापता रहे थे.
इस मामले में गिरफ्तार किये जाने के बाद शाह को 3 महीने जेल में भी रहना पड़ा. 29 अक्टूबर 2010 को उन्हें जमानत जरुर मिली, लेकिन उनके गुजरात में एंट्री पर 2 साल के लिए बैन लग गया. 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले वो गुजरात लौटे, जिसके बाद एक मीटिंग में उन्होंने भाग लिया था. इसी मीटिंग में उन्होंने एक शेर पढ़ा था ” मेरा पानी उतरता देख किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर जरूर आऊंगा”. हालाँकि उन्होंने उस समय प्रत्यक्ष रूप से किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन लेकिन आज 9 साल बाद जब इतिहास खुद को दुहरा रहा है, तो उससे साफ़ होता है कि ये शेर उन्होंने चिदंबरम के लिए ही पढ़ा था.
बता दें कि INX मीडिया केस में आरोपों का सामना कर रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिंदबरम को कल दे रात गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उनसे सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ हुई. आज उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. यहाँ दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है. सीबीआई ने पांच दिनों की रिमांड की मांग की है, जिसका चिंदबरम के वकीलों ने विरोध किया है. अब देखना ये है कि कोर्ट का फैसला क्या होता है.