नई दिल्ली: राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब देश में तीन तलाक कानून 19 सितंबर 2018 से लागू हो जाएगा।
2014 में आई मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को पारित करने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन सरकार के 5 साल के कार्यकाल में ये पारित न हो सका। इसके बाद 2019 में दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार इस बिल को दोनों सदनों में पास कराने में कामयाब रही।
राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस बिल को मंजूरी दे दी है। अब देश में तीन तलाक कानून 19 सितबंर, 2018 से लागू हो गया। राज्सभा में कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने में नाकाम रही। इसी के चलते बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े। जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, जहां इस बिल को मंजूरी मिल गई है। इसी के साथ अब बिल देशभर में प्रभावी रूप से लागू हो जाएगा।
ये हैं तीन तलाक के प्रावधान
बता दें कि अब इस बिल के लागू होने के बाद महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है। तलाक देने वाले पति को 3 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा। पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है। तीन तलाक देने के बाद पत्नी या उसके करीबी रिश्तेदार पति पर केस दर्ज करा सकेंगे।
ऐसे केस में पति को सिर्फ मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही जमानत मिलेगी। लेकिन मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर आरोपी पति को जमानत नहीं दे पाएंगे। तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च पति को देना होगा। ये खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे। तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी।
बता दें कि नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है। लेकिन अगर पत्नी चाहेगी तभी समझौता होगा। मजिस्ट्रेट उचित शर्तों के साथ पति और पत्नी के बीच समझौता करा सकेंगे।