ईस्लामी संस्कृति में बकरीद एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार है. यह ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है और मुस्लिम समुदाय के लोग इसे वर्ष में एक बार मनाते हैं. इस साल यह त्योहार मक्का में 28 जून और भारत में 29 जून को मनाया जायेगा.
बकरीद का उद्देश्य है अल्लाह की इबादत करना और उनके असीम प्रेम को मनाना. यह त्योहार मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उनके लिए इसका आयोजन धार्मिक और सामाजिक महत्व रखता है.
बकरीद का त्योहार इस्लामी कैलेंडर के अनुसार द्वादश माह की धुल-हिज्ज़ तिथि को मनाया जाता है. बकरीद की नमाज पढ़ कर आने के बाद लोग अपने परिवार के लोगों को और अपने दोस्तों को मुबारकबाद देते हैं और अपने घर दावत के लिए बुलाते हैं.
त्योहार के दौरान मुस्लिम लोग अल्लाह की प्रार्थना करते हैं और एक बकरा ज़ीबह करते हैं. बकरे को अल्लाह के नाम पर क़ुरबानी के लिए चुना जाता है, और फिर इसे हलाल तरीके से ज़बाह किया जाता है. इसके बाद, बकरा का गोश्त घर के लोगों के बीच बांटा जाता है, और इसे गरीबों और दरिद्र लोगों को दान में दिया जाता है. यह एक प्रकार का धार्मिक कार्य है जिससे समाज की सेवा की जाती है और सामाजिक बन्धनों को मजबूती मिलती है.
बकरीद के दौरान लोग भाईचारे का भाव बढ़ाते हैं और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं.
बकरीद का त्योहार मुस्लिम समुदाय में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देता है और उन्हें धार्मिक महत्वपूर्णता दिलाता है. इसे मनाने के साथ-साथ, लोग इबादत में समय बिताते हैं और अपने धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को अपनाते हैं.