रश्मि सिंह|Air Pollution Side Effect: दुषित हवा में सांस लेना गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। हमारे देश में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ये दिल्ली एनसीआर और मुंबई जैसे शहरों में रहने वालों के लिए यह आफत बन गया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक गैसों और कण भर गए है, जो सांस लेने पर सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते है। ये कण सामान्य लोगों के लिए नुकसानदायक तो है ही लेकिन गर्भवती माताओं महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी बेहद खतरनाक है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भवती महिलाओं और शिशु को कई तरह की समस्याएं हो सकती है। आइए जानते हैं इसके बारें में क्या कहता है रिसर्च।
प्रदूषण का साइड इफेक्ट गर्भवती महिलाओं पर
हाल ही के रिसर्च में पता चला है कि पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण गर्भस्थ शिशुओं को प्रभावित कर रहा है। कई शोधों में यह देखा गया है कि गर्भवस्था के दौरान मां के शरीर में मौजूद प्रदूषण भ्रूण तक पहुंच जाता है। हाल ही में वैज्ञानिकों को पहली बार तीन महीने के भ्रूण के शरीर में वायू प्रदूषण के कण मिले है। भ्रूण के लुवर, फेफड़ों और मस्तिष्क से नैनो पार्टिकल्स पाए गए है। यह इस बात का सबूत है कि मां के सांस के द्वारा प्रदूषण प्लसेंटा को पार करके भ्रूण तक पहुंच जाता है। गर्भवती महिलाओं के द्वारा प्रदूषित हवा में सांस लेने से शिशु के मस्तिष्क और फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है। इससे बच्चे में कम वजन, सीखने की कमी और बोद्धिक विकलांगता जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है।
मस्तिषक और फेफड़ो को पंहुचा रहा है नुकसान
शोधों के अनुसार प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है। गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रदूषित हवा के साथ इन विषैले कणों और गैसों को सांस के साथ अंदर लेने से भ्रूण के मस्तिष्क और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है।
शिशु का वजन होता है कम
शोधों से पता चला है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन कम हो जाता है। धूल और विषैले कण मां के रक्त प्रवाह में मिलकर पोषक तत्वों को शिशु तक पहुंचने से रोकते हैं। जिससे शिशु का विकास प्रभावित होता है. कम वजन जन्म लेने वाले बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं।