नई दिल्ली: Afghanistan News: दुनियाभर के लोग साल भर अफगानी फलों के आने का इंतज़ार करते हैं। लेकिन इस साल शायद लोगों को रसभरे अफगानी फलों का स्वाद चखने को ना मिले। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा हो चुका है। इसका असर कई बड़ी मंडियों में भी देखने को मिल रहा है। लगातार गर्माते माहौल के चलते अफगानी फलों की आवक ठप्प हो गई है। इस मौसम में दिल्ली की मंडीयों के अंदर अफगानी फलों की आवक काफी अधिक हुआ करती थी, उसमें भी अंगूरों की तो सबसे ज्यादा होती थी।
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Afghanistan News: रसीले अंगूरों से पूरा बाजार सजा
बता दें कि अफगान में अगस्त से नवंबर तक का मौसम अंगूरों का होता है। आकार में बडे और काले अफगानी अंगूरों के अलावा हरे रसीले अंगूरों से पूरा बाजार सजा रहता है। इन अंगूरों को चमन के अंगूरों के नाम से जाना जाता है जोकि काबूल में बहने वाली एक नदी के किनारे उगाए जाते हैं। हर साल अंगूरों की आवक कम से कम 10 कंटेनर हुआ करती थी लेकिन बीते कुछ दिनों से एक कंटेनर अंगूर भी मंडीयों में नहीं पहुंच पाए हैं। इन अंगूरों के दाम भी अन्य विदेशी फलों के मुकाबले काफी कम हुआ करते थे बीते साल चमन के अंगूरों को 100 से 150 रूपए प्रतिकिलो की थोक दर से बेचा गया है।
शारदा का स्वाद भी चखने को नहीं मिलने वाला
वहीं इसके बाद दूसरा फल जो सबसे ज्यादा इस मौसम में भारत आया करता था, वो है खरबूजे की ही बिरादरी में आने वाला शारदा फल। जोकि 100 रूपए प्रतिकिलो के थोक दाम से बेचा जाता था और इनकी डिमांड भी इसकी मीठास की वजह से भारत में काफी थी। इसके भी पिछले साल रोजाना 8 से 10 कंटेनर अफगानिस्तान से दिल्ली आया करते थे। लेकिन इस साल शारदा का स्वाद भी चखने को नहीं मिलने वाला है।
अफगानिस्तान में तालिबान की इंट्री ने फलों की आवक
हर साल करीब 3-4 महीने चमन के अंगूरों व शारदा की काफी डिमांड रहती है। इसकी वजह इन दोनों फलों में शर्करा की मात्रा का कम होना भी है लेकिन इस साल अफगानिस्तान में तालिबान की इंट्री ने फलों की आवक को पूरी तरह से बाधित कर दिया है। अगर अफरा-तफरी का माहौल खत्म हो जाए तो शायद इन फलों का स्वाद भारत के लोग चख पाएँ।