जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। वहीं हम बात करें, विश्व की जनसंख्या के बारे में तो 2022 में विश्व की जनसंख्या 8 अरब हो गई है। 2021 में विश्व की जनसंख्या साढ़े सात अरब थी। अनुमान के मुताबिक, 2030 तक विश्व की आबादी 8.5 अरब और 2050 तक 9 अरब और 2100 तक 10.9 अरब होगी और अब बात की जाएं, भारत की जनसंख्या के बारे में तो 2022 में भारत का जनसंख्या 140 करोड़ हो गई है। 2027 के आसपास भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड ने भारत की आबादी को तीन आयु वर्गों में बांटा है जो कि 0-14 वर्ष, 15-64 वर्ष और 65+ वर्ष से अधिक है। डेटाबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार,
0-14 वर्ष =25% आबादी है।
15-64 वर्ष =68% आबादी है।
65+ वर्ष से अधिक =7% आबादी है।
अब आप खुद ही अदांजा लगा सकते हैं कि दुनिया भर में लोगों की आबादी कितनी तेजी से बढ़ती जा रही है और आप यह भी अच्छी तरह से जानते होंगे कि बढ़ती आबादी की वजह से कई बड़ी समस्या पैदा हो रही हैं। जिसमें भूखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, क्राइम जैसी परेशानियां शामिल हैं। गौरतलब है कि, इसे कंट्रोल करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण बहुत जरूरी हो जाता है। बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से इस दिन यानी 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत की गई। आइए जानते हैं इससे जुड़ा इतिहास और इस साल की क्या है थीम?
इतिहास
विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सुझाव सबसे पहले डॉक्टर केसी जैक्रियाह ने दिया था। साल 1987 में दुनिया की आबादी 5 अरब पहुंचने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंता जाहिर की थी। 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल(UNDP) ने तय किया कि 11 जुलाई को हर साल विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा और बढ़ती आबादी को लेकर लोगों को जागरुक किया जाएगा। 11 जुलाई 1990 को यह दिवस पहली बार 90 से अधिक देशों में मनाया गया था। इस बार तीसरी बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाएगा।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए भारत में कानून
साल 2019 का जनसंख्या नियंत्रण बिल (Population control Law) कहता है कि प्रत्येक कपल टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएंगे यानी की दो से अधिक संतान नहीं होगी। लेकिन इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि 1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट के अनुच्छेद 22 के अनुसार कपल इसके लिए स्वतंत्रता है कि वह कितने बच्चे पैदा करें। इस कानून का विरोध करने वाले कहते हैं कि बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। टू चाइल्ड पॉलिसी बिल को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है, लेकिन यह हर बार कानूनी दांव-पेंच में फंस जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस की अहमियत?
भारत समेत दुनिया भर में जनसंख्या बेतहाशा बढ़ रही है। हर साल इस दिन पॉपुलेशन को कंट्रोल करने के उपायों पर चर्चा की जाती है। बढ़ती आबादी से इको सिस्टम और मानवता पर जो असर हो रहा है। उसे लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, नागरिक अधिकार, गरीबी, गर्भनिरोधक दवाओं, मां और बच्चे का स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाती है। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के तमाम देशों को ज्यादा जनसंख्या की वजह से परेशानी झेलनी पड़ी। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा हर क्षेत्र में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण पर फोकस करना और भी ज्यादा जरूरी हो गया है।
इस साल की थीम
हर साल विश्व जनसंख्या दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार कुल विश्व जनसंख्या 8 मिलियन का आंकड़ा पार करने वाली है। तो इस बार इस पर आधारित थीम भी रखी गई है। 8 बिलियन की दुनिया सभी के लिए एक लचीले भविष्य की ओर-अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना।
पहले क्या था?
पहले विश्व जनसंख्या दिवस के साथ-साथ इंसान के विकास और प्रगति को सेलिब्रेट किया जाता था। लेकिन अब इस दिन को सिर्फ बढ़ती जनसंख्या नियंत्रण और बढ़ती जनसंख्या की खामियों को बताते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए ये दिन मनाया जाता है।