नई दिल्ली : ईरान अपनी वर्षगांठ मना रहा है। ये वर्षगांठ ईरानी क्रांति के चार दशक पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इसी वर्षगांठ में ईरान ने एक मिसाइल टेस्ट को अंजाम दिया है। जिसकी रेंज 1350 किलोमीटर से ज्यादा बताई जा रही है। इस मिसाइल परीक्षण को ईरान सरकार ने अपने सरकारी टेलीविजन में भी प्रसारित किया। मंत्री आमिर हातमी ने कहा कि होविज क्रूज मिसाइल का 1200 किलोमीटर का परीक्षण सफल रहा।
आमिर हातमी ने इस मिसाइल की खासियत बताते हुए आगे कहा कि यह मिसाइल बहुत कम समय के अंदर और बहुत कम उंचाई में भी उड़ान भरने में सक्षम है। आगे हातमी ने इसे ईरान के लंबे हाथों के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की । गौरतलब है कि यह मिसाइस 2015 में विकसित की गयी सुमार श्रेणी की क्रूज मिसाइल का ही हिस्सा है।
हालांकि अगर इस परीक्षण के बावत अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका जिस बात की अशंका हाल ही के समय में जाहिर करता हुआ ईरान संधि से बाहर हुआ था वह पूरी तरह से झूठ नहीं था। क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाए थे कि चोरी-छिपे ईरान हथियार डेवलप कर रहा है। और यही कहते हुए अपने आप को अमेरिका ने संधि से बाहर कर लिया था। इस मिसाइल परीक्षण के बाद यह सिध्द होता है कि अमेरिका की आशंका विल्कुल निराधार नहीं थी।
इस परीक्षण से अमेरिका को खतरा तो नहीं है और न ही इससे अमेरिका को नुकसान की ही कोई आशंका है क्योंकि उस रेंज की मिसाइल ईरान के पास है ही नहीं जितनी रेंज की मिसाइल अमेरिका तक पहुंचने के लिए जरूरी है। पर ईरान द्वारा किये गये इस परीक्षण के दो प्रभाव होंगे। पहला मध्यपूर्व में तनाव बढ़ सकता है और इसकी जद में सीधे इजराइल और सऊदी अरब होंगे। इजराइल के पास आधुनिक एंटी डिफेंस सिस्टम हैं पर इन सब स्थितियों के बावजूद इजराइल की चिंता तो बढ़ेगी ही। दूसरा जो प्रभाव देखने को मिल सकता है वह सऊदी अरब भी खुद आधुनिक और अधिक रेंज की मिसाइल को डेवलप करने की ओर आगे बढ़ सकता है और अगर ऐसा हुआ तो मध्य पूर्व में प्रोक्सी वॉर सीरिया से भी बदतर तस्वीर पेश कर सकती है। जहां एक तरफ अमेरिका और यूरोप होंगे तो दूसरी तरफ चीन और रूस मैदान में होंगे ।